रविवार, 30 अगस्त 2009

दिन भी हो चला धुंधला, दिए की लौ भी बुझने को आई....


किसी कि आहट मुझे सोने नही देतीं,

दिल कि धडकनों में यह हलचल है किसकी?

जो मुझे पलकें भी मूँदने नहीं देतीं।

ज़ुल्मत में यादों कि परछाई किसकी है मुस्कुराई,

रौशनी सी बिखेरती मुझे अंधेरे में खोने नहीं देतीं।

यह मुश्कबू फैली है किसके छुअन की,

कि रात के डगमगाते साए भी सोने नहीं देते।

दिन भी हो चला धुंधला,

दिए की लौ भी बुझने को आई,

पर घटाएं बनी रातें सुबह होने नहीं देतीं।

ज़िन्दगी का फलसफ़ा भी है अजीब,

पुरानी यादें रोने भी नहीं देतीं॥

शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

एक बात छूट गई, जब प्यार की ड़ाली ही टूट गई॥


दिन निकल आया,

रात टूट गई,

बात ही बात में ,

एक बात छूट गई।


याद है मुझे

शाम के धुंधलके में

टहलते हुए तुम्हारे साथ

आँगन में ,

उखाड़ा था मैंने एक पौधा

गुलाब के गमले से ,

कहकर कि खर-पतवार है

और अचानक तुमने टोक दिया था

कि रहने दो न !!!!!

यह प्यार का पौधा है

अपने आप ऊग आया है।


फिर न जाने क्या बात हुयी?

कौन सी गाँठ लगी

हमारे बीच में?

जो आज तक न खुल पाई,

जो अचानक रुकी थी

वो घड़ी भी न चल पाई।


वह शीशा न मिल पाया

जो गलतियों को दिखाता,

वो क़िताब ही खो गई,

पन्ने जिसके पलटता.......

सवाल तो मन में कई हैं

वो पौधा आज भी वहीँ है,

सवालों का जवाब मिले भी तो कैसे?

जब प्यार की ड़ाली ही टूट गई॥
(See DISCLAIMER below in the footer.......)

गुरुवार, 27 अगस्त 2009

जब से तुमसे प्यार हुआ ? ? ? ?


जब से तुमसे प्यार हुआ,

दिल की धड़कन खो गई।


तुम्हारी पायल देख मन हुआ घायल,

और हर घुँघरू से दिल्लगी हो गई।


कल तक तो थी बेज़ार ज़िन्दगी ,

आज लगा ईद हो गई।


अब तक तो था 'महफूज़' हारा-हारा ,

आज अचानक जीत हो गई॥








(See DISCLAIMER below in the footer....... )

सोमवार, 24 अगस्त 2009

वो पल आधा मेरा होगा और आधा ?????


तुम मेरे संग एक पल बाँट लो,

वो पल आधा मेरा होगा

और

आधा तुम्हारे दुपट्टे की गाँठ में,

छोटा बच्चा बन के जो खेलेगा मेरे संग

तुम्हारी खुश्बू लिए ।


तुम एक ऐसा ख़्वाब बुन लो,

बता जाए जो बात तुम्हारे मन की

मेरे पास आ कर चुपके से ......

तुम जब सोती होगी भोली बन के

तो वो ख़्वाब खेलता होगा मेरी आँखों में॥


तुम वो रंग आज मुझे ला दो,

जो मुझे दिखाए थे

बादलों के झुरमुट के पीछे

झलकते आसमान के॥


तुम वो बूँद रख लो संभाल कर,

मेरी आँखों के भ्रम में ,

जिसने बसाया था डेरा

तुम्हारी आँखों में.........

उस खारे बूँद में ढूँढ लेना

कुछ ख़ूबसूरत पल मेरी यादों के,

मेरी बातों के॥


शनिवार, 22 अगस्त 2009

कुछ हिन्दी हाइकू कवितायें!!!


१। गर्मी से प्यासा सूरज,

बादलों से करता बातें,

मानसून अभी नही आया?

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२। जर्ज़र काया की मेरी कामवाली,

कहती नही छोडूंगी आपका घर,

क्यूंकि पेट नही तो भेंट नहीं॥

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३। सुनो! तुम रोना मत,

मुझे काफ़ी आगे जाना है, मैं लौटूंगा...

मैंने ऐसा तो नही कहा॥

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४। लाल सूरज उगता ऊँचा, ऊँचा......

निष्फल पेड़ों से भी ऊँचा,

खड़ा निड़र, मुहँ चिढाता॥

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५। नदिया बहती कल-कल ,

लादे पीठ पर कोहरा

और पेट में बर्फ॥

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(हाइकू कविता लिखने की जापानी विधि है, जिसे हम 5-7-5 के Syllables में लिखते हैं, हिन्दी में लिखने के लिए कोई ज़रूरी नही है की हम Syllables को फोल्लो करें.... लेकिन तीन पंक्तियाँ का होना ज़रूरी है..... यह एक कोशिश है.... उम्मीद है की ठीक लगेंगी..... )
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