सोचता हूँ कि
अगर तुम
मेरी ज़िन्दगी में
आतीं नहीं
तो क्या होता?
तो खो जाता अपनी
तनहाइयों में,
कोई पहचान नहीं बना पाता,
कर देता खाकसार ख़ुद को
पिछली यादों में,
आस जीने की खो देता
आंसुओं के सैलाब में,
पर अब तुम हो मेरे साथ
मेरे हमनवाँ,
पता नहीं!!!!!!!!!
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
59 टिप्पणियाँ:
सोचता हूँ कि
अगर तुम
मेरी ज़िन्दगी में
आतीं नहीं
तो क्या होता?
ab jab wo aa hi gayi hai to jaane mat dijiyega
पर अब तुम हो मेरे साथ
मेरे हमनवाँ,
पता नहीं!!!!!!!!!
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
ye meri taraf se..
उसे मैं भूल जाना चाहते हूँ
अब मैं मुस्कुराना चाहता हूँ
दुखी रहने की आदत थी
मगर अब गुनगुनाना चाहता हूँ....
kitni acchi lagi aapki kavita ?
Raj ji ne sahi kaha hai kahin hamaari tareef kam na pad jaaye aur sabse badi baat aap khush hain aise hi rahein
aap par 'KHUSHI' hi suit karti hai bas....
आपकी रचना तो होती ही तारीफ के काबिल है...कहो या ना कहो कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता कि "काबिले तारीफ"
मेरे हमनवाँ"
जो हमनवाँ है वो साथ तो होगी ही.
बेहतरीन रचना
लाजवाब रचना । बहुत सुन्दर । शुभकामनायें ।
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
confession type रचना...प्रेम प्रदर्शन का अनोखा रुप! :)
बढ़िया रचना.
aDaDi Aur Raj ji ne sahi kaha....
khushiyaan har ek pe suit karti hai di.
Par dukh ek obvious process hai aur sukh?
It Needs effort.
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
......Good attitude towards life.
khoobsurat rachna
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
यही होती है मुहब्बत
इसी से जिन्दगी हसीं हो जाती है .....खूबसूरत रचना ...
" bahut hi sunder rachana ...is ke liye aapko badhai ho "
---http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
sundar rachna..khubsurat khyal.
लाजवाब रचना । बहुत सुन्दर । शुभकामनायें ।
http://sanjaybhaskar.blogspot .com
उसे मैं भूल जाना चाहते हूँ
अब मैं मुस्कुराना चाहता हूँ
दुखी रहने की आदत थी
मगर अब गुनगुनाना चाहता हूँ...
http://sanjaybhaskar.blogspot .com
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं
bhulane ki baat to nahi karunga par kuch kahna chahunga..
सच है उनको कभी भुला नहीं पाएंगे,
पर गर तुम आते नहीं मेरी जिंदगी में,
तो सच कहता हूँ, कसम है तेरी,
जी भी नहीं पाते इस जिंदगी में....
इनका जिंदगी में आना ...उनका ख्यालों से जाना सरल शब्दों ने बड़ी सादगी से ख्यालों की रेलमपेल को बेहतर अभिव्यक्ति दे दी है ...
बहुत शुभकामनायें ..!!
सुंदर भाव युक्त अच्छी रचना !!
विचित्र है यह प्रेम के मनोभावों का व्यापार । क्या क्या सोचने लगता है यह मन !
कविता की प्रकृति नयी लगी । रचना का आभार ।
बहुत बढिया रचना !!
"तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........"
वाह...वाह...!
बहुत बढ़िया लिखा है, महफूज भाई।
बहुत बधाई!!
पर अब तुम हो मेरे साथ
मेरे हमनवाँ,
पता नहीं!!!!!!!!!
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
तुम्हें पढना हमेशा ही अच्छा लगता है तुम्हारी हर रचना दोल को छूने वाली होती है इस रचना मे एक सहज सरल मन से निकलीअभिव्यक्ति है हाँ मेरी भी यही सलाह है किब भूल कर भी उधर मत देखना बधाई बहुत बहुत
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
किसी के आने किसी के जाने का गम भी चला गया.........सुंदर भाव....वो बेवफा अब ख्यालो तक में ना आये तो ही अच्छा.."
regards
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
JO PAAS HOTA HAI USKI KEMAT NAHI HOTI ... JAB NAHI HOT TO USKI YAAD MEIN DOOBA RAHTA HAI TANHA RAHTA HAI .... LAJAWAAB MAHFOOZ JI .....
Ise hee sachchhapyar kahte hain.
bahoot khoob janaab
जब यह भी चली जायेगी तो क्या करोगे ?
behad khubsurat
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं...
well said...........
महफूज़ भाई, आपने अपने दिल की बात को शब्दों के मोतियों से कविता रूपी माला में बाखूबी पिरोया. बधाई स्वीकारें !
याद-ए-माजी अजाब है या रब,
छीन ले मुझ से हाफिजा मेरा.
Great abhiwykti !!!
Bahut badhiya ..pyar ka adbhut prdarshan aur shabdo ka sundar milan..bhai maan gaye kuch khas hai aapke sabdon me..bahut sundar rachana karate hai aap to.
badhayi bhai..dher sari badhayi..
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
अरे क्या कहने महफ़ूज़ अली आपके। शॉल में लपेटकर मारा है चाँटा आपने। क्या हुनर पाया है आपने वाह!!!!
पर अब तुम हो मेरे साथ
मेरे हमनवाँ,
पता नहीं!!!!!!!!!
तुम्हारे साथ कब रात से दिन
और दिन से रात हो जाती है,
अब नज़र भूल के भी उस तरफ़ नही जाती है
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं........
.......AAPAKE LEKHAN ME JO CHIJ DEKHANE KO MILATI HAI WAH YAH KI JINDAGI KAISE JIYA JAYE .......IS KAWITA ME JO KUCHH DEKHANE KO MIL RAHA HAI WAH YAH KI SAMAY KE SATH KADAM SE KADAM MILA KAR CHALANE KI SHIKSHA DETI HAI ........
NICE ONE
KEEP IT UP............
SORRY FOR COMING LATE........
ज़िक्र करना छोड़ दिया
उसने गली का रास्ता छोड़ दिया मैंने
फिर भी बेवफा होकर आज भी
वो इतना याद आता क्यूँ है?
वो आज भी मेरी "आरज़ू" क्यूँ है....???
---
अगर आरज़ू-ऐ-इश्क दिल में ही न उठती,
ख़स्ता-ख़स्ता बिखरने की नौबत ही न आती |
--
इन्सान किसी से मुहब्बत करता है,
अपनी आरज़ू का इज़हार भी करता है,
उस इज़हार का इक़रार भी होता है,
वक़्त के परों पर मुहब्बत जवान होती है......
मगर ये क्या......
मुहब्बत का जब परवान होना चाहिए, उरूज़ होना चाहिए,
उस वक़्त वो आपका साथ छोड़ देता है......तनहा और अकेला
??????????????
Mahfooz Bhai, Will you please explain...???
इन्सान किसी से मुहब्बत करता है,
अपनी आरज़ू का इज़हार भी करता है,
उस इज़हार का इक़रार भी होता है,
वक़्त के परों पर मुहब्बत जवान होती है......
मगर ये क्या......
मुहब्बत का जब परवान होना चाहिए, उरूज़ होना चाहिए,
उस वक़्त वो आपका साथ छोड़ देता है......तनहा और अकेला
??????????????
चलो संतुष्ट हो, तो सब कुछ पा लिया.
कहा भी गया है
गो धन, गज धन, बाजि धन और रतन धन खान,
जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान
हार्दिक बधाई.
आपका भी मेरे ब्लाग पर स्वागत है.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
kavita to bohat achchee hae, par ye nayee ladki kaun hae? hamen to pata hi nahi chala, kamaal hae, ye khyaal hae ya phir sahi men hae? or apne hamen batay bhi nahi. aap number game increase kar rahen haen kiya?
hum 39th comment waley bhaiee sahab se kahengay ki puchiye mahfooz bhai se ajkal love guru ho gaye haen?apne achcha swaal kiya hae? inko achcha experience hae bata denge.. hah ha ha
अच्छी लगी आपकी रचना प्रेम के कई रंग है यह भी उन में से एक है ...अच्छा लिखा है आपने
बहुत खूबसूरत.. हैपी ब्लॉगिंग
तो खो जाता अपनी
तनहाइयों में,
कोई पहचान नहीं बना पाता,
कर देता खाकसार ख़ुद को
पिछली यादों में,
आस जीने की खो देता
आंसुओं के सैलाब में,
mahfooj sahb,
bada gahra likha hai..
vah!
vo kaoun thi?
ham apke hai kaoun?
jo bhi hai unhe dhnywad jisne fir se jindgi me rang to bhre.
abhar
@ sharad kokasji..... hehehehehe.......
@ स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ said...
Mahfooz Bhai, Will you please explain...???
इन्सान किसी से मुहब्बत करता है,
अपनी आरज़ू का इज़हार भी करता है,
उस इज़हार का इक़रार भी होता है,
वक़्त के परों पर मुहब्बत जवान होती है......
मगर ये क्या......
मुहब्बत का जब परवान होना चाहिए, उरूज़ होना चाहिए,
उस वक़्त वो आपका साथ छोड़ देता है......तनहा और अकेला
??????????????
bhai........ yeh main yahan explain nahin kar sakta..... kabhi miliyega to bataunga...... hehehehehehehe
@ Rukhsar mam......
aap pehle to yeh bataiye ki aap khaana khaatin hain ya nahi?
agar khaatin hain....... to plz...... meherbaani karke...... mera dimaag khaana chhod dein......
badi meherbani hogi aapki....... aur kuch apne blog pe bhi likhiye... khaali blog shaitan ka ghar hota hai........ isliye aap.... darawane comment kartin hain.... hehehehehehe
महफ़ूज़ साहब..थोड़ा देर से पढ़ पाया आपकी रचना..मगर अब इतने सारे लोगों के कहने के बाद मेरे पास कुछ बचा भी नही..एक अलहदा रंग..बधाई
Mahfooz miyan,
aapki rachna to thi hi kamal ki lekin jo aapne jawaab chun chun kar diye wo to aur bhi kamal ka hai.
aur wo 'khali blog shaitan ka ghar' to bas priceless hai..
ha ha ha ha ha
Ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha
abhi to filhaal roze se hun, shaam maen aa k khaungi, itna tasty or intelligent dimaagh kaun nahi khana chahega?
Hmm.. aaj to comment karna hi padega.. her roz mai is blog ko padhti hoon.. per kabhi nahi laga ki ek tareef karun.. ya criticise karun.. as..dono hi cheezon ke liye.. mai bahut choti hoon aapse.. na ki sirf age me.. but intellect aur experience me bhee.. You know.. the best about you is.. aap humesha mere is vishwas ko aur pukhta karte hai that you are a true survivor who ends up winning..i know what all you have gone through,.. and how u hard u hve been trying to come out it.. but aaj yakeen hogaya.. ki mera bhai.. nayi life, naye log aur naye aayam paane ke liye tayyar hai..
Keep up the good work.. n thanks to everybody too who use to read him.. n appraise him for his work..thanks for bringing a smile on his face.. love u bhaiya..n may Lord bless u with the best..as i know u deserves it..
Book fair jana hai..time nikaliye.. lolzz.
Good luck:)
Hmm.. aaj to comment karna hi padega.. her roz mai is blog ko padhti hoon.. per kabhi nahi laga ki ek tareef karun.. ya criticise karun.. as..dono hi cheezon ke liye.. mai bahut choti hoon aapse.. na ki sirf age me.. but intellect aur experience me bhee.. You know.. the best about you is.. aap humesha mere is vishwas ko aur pukhta karte hai that you are a true survivor who ends up winning..i know what all you have gone through,.. and how u hard u hve been trying to come out it.. but aaj yakeen hogaya.. ki mera bhai.. nayi life, naye log aur naye aayam paane ke liye tayyar hai..
Keep up the good work.. n thanks to everybody too who use to read him.. n appraise him for his work..thanks for bringing a smile on his face.. love u bhaiya..n may Lord bless u with the best..as i know u deserves it..
Book fair jana hai..time nikaliye.. lolzz.
Good luck:)
September 17, 2009 12:48 AM
achha likha,pyar ka badiya chiter khincha gaya.
pahle bhi padha kyee baar apko.ya kahe har baar apko.apki kavitaye khuli kitab jaise hoti hai.wo bewafa to ab bhi khaylo me hai shayd warna aap aaj bhi oss bewafa ka jiker nahi karte.bhul jane ki koshish acchi bat hai.
अगर तुम मेरी ज़िन्दगी में आतीं नहीं,
तो वो बेवफ़ा कमबख्त
मेरे ख़्यालों से कभी जाती नहीं.बढ़िया रचना!!!
बहुत ही ख़ूबसूरत और शानदार रचना! बधाई!
bahut hi acha likha hai..........mai dua karti hu ki aapko aapka ye pyar mil jaye........
बहुत बढिया रचना ........
और कितनी रात अकेला रहूँगा मै....
दर्दे -ऐ - जुदाई कब तक सहूँगा मै......
अब आ भी जाओ ऐ जाने ग़ज़ल नहीं तो। …
शमां की तरह मोम बनकर पिघलता रहूँगा मै…।
थर्ड आईज
अजेय अजनबी ......
Jindagi achhi khasi kat rahi Thi.
Tmhare judai ne sab gud gobar kar diya..........
बहुत अच्छी है।
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