तन्हाई में जब मैं
अकेला होता हूँ,
तुम पास आकर दबे पाँव
चूम कर मेरे गालों को,
मुझे चौंका देती हो,
मैं ठगा सा,
तुम्हें निहारता हूँ,
तुम्हारी बाहों में,
मदहोश हो कर खो जाता हूँ.
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
पाकर साथ तुम्हारा,
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द
देख कर तुम्हारी मुस्कान और बदमाशियां....
मैं जी उठता हूँ,
जब तुम,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
कहती हो.......
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम
साथ हरदम...हमेशा....
74 टिप्पणियाँ:
बहुत ही ख़ूबसूरत नज़्म...दिल की गहराइयों से निकली हुई.....
तुम पास आकर दबे पाँव
चूम कर मेरे गालों को,
मुझे चौंका देती हो,
aise chaunkne ka to intazar kare koi bhi!!!
अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
naapa hi nahi ja sakta is pyaar ki gahraai ko...
पाकर साथ तुम्हारा,
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द
han isiliye to aati hai..
कहती हो.......
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम साथ हरदम...
हमेशा....
aur fir? tanha kar ke chali jaati hai!!
bahut accha likha bhaiya..
bahut hi accha likha hai...par agar aap kisi ko bahut pyar karte ho to vo kabhi chod kar jayega nahi..agar aapka pyar saccha hai to apne pyar se vada lene ki zarurat nahi hoti...vo hamesha aapke pas hoga aapse dur nahi ja sakta...bas aap use dukh mat do....
क्या बात है महफूज भाई .. कमाल का लिखा है ........ सच में उनका हाथ मिल जाए तो सब दर्द ख़त्म हो जाते हैं ..........
बहुत सुन्दर कविता।
अच्छे लेखन के लिए बधाई!
्वाह बहुत उम्दा पेशकश!!..
ये बात महफूज साहब आपने दुरूस्त कही है, एक जादू लाती है अपने साथ ये प्यार की बारिश...जिसमे सारी परेशानियाँ तर होकर घुल जाती है..प्यारी और अच्छी रचना..बधाई...
gr8 one !!
ehsaason se bharpoor rachna
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को
real test of love.
बहुत सुन्दर कविता बधाई !!
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपको बधाई !!
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
पाकर साथ तुम्हारा,
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द
देख कर तुम्हारी मुस्कान और बदमाशियां....
मैं जी उठता हूँ,
बहुत खूबसूरत पंक्तिया महफूज जी।ऐसे ही सुन्दर रचना करते रहिये।शुभकामनाएँ......
सुंदर कविता!
कि रहेंगे हम
साथ हरदम...हमेशा....
यह एहसास कि कोई है आसपास
बहुत अपना है खोने न पाये
टूट जाये तो फिर जुडता नही है
टूटने न पाये यह विश्वास
अब हम का कहें !!
इसमें तो हम कुछ कह नहीं सकते हैं ना....!
लेकिन कविता !
नहीं ये कविता नहीं है.....इसे तो दिल कि बात कहते हैं ....
आप अपने दिल कि बात कह गए हैं.....हमेशा कि तरह...जोर-जोर से .....चिल्ला के !!!
ख़ूबसूरत नज़्म...बधाई
बहुत सुंदर प्यार से ओत प्रोत लगी आप की यह नज्म.
धन्यवाद
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
पाकर साथ तुम्हारा,
सही में बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ है.
pyar ki awaj hain kahan jayegi bhiya.......
sath hi rahana hai.......
nice.....
रुमानियत से भरपूर सुन्दर रचना
बहुत ख़ूबसूरत कविता
अब इस तरह की प्रेम कविता मे सोचो कि और क्या किया जा सकता है ...कुछ ऐसी बात जो और किसी ने ना कही हो .. हूँ... जो किसी प्रेमी ने अब तक ना कही हो सोचो सोचो.. जैसे एक कविता केदार नाथ सिंह की लिखता हूँ ..
उसके हाथों को
अपने हाथों में लेते हुए
मैने सोचा
पृथ्वी को भी इसी तरह
गर्म और सुन्दर होना चाहिये
अकेला होता हूँ,तुम पास आकर दबे पाँवचूम कर मेरे गालों को.nice
बहुत बढ़िया.....किसी पारंगत प्रेम रस के रचनाकार की तरह सरल शब्दों में भी अत्यन्त भावपूर्ण कविता. ..धन्यवाद महफूज़ जी
लाजवाब रचना. इक अरसे पहले हमने एक कव्वाली सुनी थी (लाइव) जिसके अंत में वह कहता है की वह मेरी बेटी थी.
सुंदर.गहन.
बहुत डूब कर,केन्द्रित होकर लिखी गयी लगती है.बढ़िया.
दिल की गहराई से निकली आवाज़ खुबसूरत रोमानी नज़्म बेहद खुबसूरत.
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
bahut khoobsurat ehsaas....bahut sundar abhivyakti......badhai
बहुत खूब महफ़ूज जी
प्यार कुछ भी कर सकता है.......
unki to guarantee nahi per apni baat batate hain
hum apka saath nahi chodenge mahfooj bhai.
ek choti si alochana" tanhayi me insan akela hi hota hai'
ye waisi hi baat ho gayi jaise "bachpan me jab hum chote the"
satya vyas
bahut sunder prem kavita .
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
पाकर साथ तुम्हारा,
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द
देख कर तुम्हारी मुस्कान और बदमाशियां....
ओये होए .....!!
बहुत ही मासूम और प्यारी कविता .....!!
वाह वाह !! महफूज़ भाई... बहुत ही खूबसूरत अहसास...
दिल की बात दिल से कही गई।
बधाई हो।
आपकी आंखों में कुछ महके हुए से ख्वाब है...
आपकी बदमाशियों के ये नए अंदाज़ है...
जय हिंद...
''वादा रहा......
जहाँ तुम हो वहां मैं भी हूँ....''
अरे भाई मैं नहीं बोल रहा भाभी जी को उकसा रहा हूँ बोलने के लिए..
बहुत अच्छे से प्यार को परोस जाते हैं आप नमी से भीगी दिल की पत्तल पे.... बधाई..
जय हिंद...
बहुत ही सुन्दर कविता....
एक अच्छी रचना के लिए बधाई!!!
" bahut hi sunder ..acchi rachana ke liye badhai ."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सुन्दर भाव /
ख़ूबसूरत नज़्म .. बधाई!
बड़े मियाँ की बातों में न आना भाई लोग, ये तो आधी अधूरी कहानी है..... फीचर फिल्म का शेष भाग देखना हो तो मैंने फिल्म चालु कर दी है वहां swarnimpal.blogspot.com पर... पूरी फिल्म का मज़ा लेने के लिए वहां जाएँ जरूर. :) महफूज़ भाई गुस्सा मत करना... बस ऐसे ही मजाक में आपके बारे में कुछ लिखा है(सीरिअसली मत लेना), वरना मैं चिल्लाऊंगा हाँ 'क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन कों उत्पात.....'
जय हिंद..
बड़े मियाँ की बातों में न आना भाई लोग, ये तो आधी अधूरी कहानी है..... फीचर फिल्म का शेष भाग देखना हो तो मैंने फिल्म चालु कर दी है वहां swarnimpal.blogspot.com पर... पूरी फिल्म का मज़ा लेने के लिए वहां जाएँ जरूर. :) महफूज़ भाई गुस्सा मत करना... बस ऐसे ही मजाक में आपके बारे में कुछ लिखा है(सीरिअसली मत लेना), वरना मैं चिल्लाऊंगा हाँ 'क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन कों उत्पात.....'
जय हिंद..
दीपक भाई के यहँ फिल्म पहले देख आये, लेकिन यहाँ ट्रेलर का मजा कम नहीं हुआ!!
बहुत गहरे भाव!!
मैं जी उठता हूँ,
जब तुम,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
कहती हो.......
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम
साथ हरदम...हमेशा....
अह्ह!! वाह!! लिखते रहो-पढ़ाते रहो!
बहुत ख़ूबसूरत रचना! एहसास से भरी हुई प्यार को आपने बहुत ही सुंदर रूप से शब्दों में पिरोया है! इस शानदार रचना के लिए बधाई! मेरी कविता ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम साथ हरदम...
हमेशा....
इसीलिये आपके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं । कविता बढिया है । क्या आपका अपना अनुभव ।
प्रेम के शब्द .... लाजबाब....
दीपक जी बहुत मौज ले रहे हैं :)
bahut badiya janaab sachmuch behad pasand aaya aapka yah andaz
धम तो फीचर फिल्म देख आये। शुभकामनायें
"तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को...."
थाह नहीं पा सकोगे जनाब!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!!
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
naap pana itna asaan nahi mitr...
romaniyat se bharpoor !!
neeche bhee bahud umda post dikh raheen hain..padhungi fursat se !!
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
जनाव नापने वाला पैमाना भी बता देते, कुछ दूसरो का भी भला हो जाता :)
खैर, बहुत सुन्दर भाव !
खुबसूरत नाजुक से ख्यालो से सजे ख्वाब और ख्वाइशे ...
regards
Lively...... haqeeqat se sarabor!
सोच रहा हूँ.....
कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को....
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ?
पाकर साथ तुम्हारा !
बहुत ही सुन्दर रचना दिल को छूते शब्दों का संयोजन, बधाई ।
बहुत ही ख़ूबसूरत नज़्म...दिल की गहराइयों से निकली हुई.....
बहुत ही ख़ूबसूरत नज़्म...दिल की गहराइयों से निकली हुई.....
सुन्दर.
महफूज भाई .. अत्यन्त भावपूर्ण कविता. ..बहुत ही प्यारी कविता .....!!
अथाह की थाह लेने में समय बर्बाद जिन करिए , बस गोते लगाते रहिए ।
Di............ bahut hi sunder poem............hai........ feelings ko bahut achche se aapne ubhaara hai.........par na jaane kyun mujhe ab yeh feelings aur love poems appeal hi nahin kartin....
तब तो ये हाल है ...अपील करती तो और कैसा लिखते मेरे भाई ...!!
अब कहूं भी तो क्या कहूं,मै ठहरा ब्र्म्ह्चारी फ़िर भी तुम्हारी तारीफ़ मे सिर्फ़ इतना कह सकता हूं कि अगर उन दिनो ये पढने को मिल गया होता तो मै आज वो न होता,कुछ और होता या फ़िर हो सकता है कि तुम्हारा शिष्य बनकर ऐसा ही कुछ लिखने की कोशिश मे लगा होता।बहुत ही खूबसूरत एहसास है हम जैसे पत्त्थर दिल को रोमांटिक होने को इंस्पायर कर रहे है आपके शब्द्।और हां वो दीपक क्या कह रहा है कुछ उसका भी जवाब आ जाये,मैने पहले सेकेंड पार्ट देखा है और अब फ़र्स्ट्।खुदा महफ़ूज़ रखे आपको हर बला से।
महफूज भाई .. अत्यन्त भावपूर्ण कविता,
आपको बधाई !!
chhaa gaye guru
humse kuch kaha nahi ja raha hai.
Kya sach me koi apne pyar ko is tarah se bayan karta hoga. shayad maine kabhi pyar nahi kiya hai isiliye yakeen nahi hota hai. par itna achchha ahsaas hai pyar ka ye apki poem padhkar laga.
किससे वादा ले रहे हैं?
आपका वादा वफा हो, यही दुआ है हमारी।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
बहुत खूबसूरत रचना, एक खूबसूरत ख्वाब संजोये.
ऐसा ख्वाब तो सभी देखते हैं, लेकिन पूरा सिर्फ किस्मत वालों का ही होता है.
हम तो देर से पहुंचे, तब तक ढेर सारा प्यार लुट चुका था, भाई. बधाई
सुन्दर रचना .....
"कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे
प्यार की गहराई को...."
गहराई अनंत है ...
कई दिनों से हथेली जरा वजनी है,
कई दिनों से कुछ छुआ नहीं !!
सुन्दर नज्म ,है यह शुक्रिया
भई पहले तो आपकी इस कविता को कविता कहने मे मुझे थोड़ी हिचक होती है..यह तो एक दम नगमा सा बन गया है..जिसमे एक खास नशीली, खामोश मगर पुरअसर धुन साफ़ धड़कती सुनाई देती है..और कुछ पंक्तियाँ तो जैसे फ़िल्मी गीतों सी रवानी रखती हैं जैसे खुद शीर्षक ही..और फिर यह परस्पर का आत्मसमर्पण!!..यही जिंदगी है..
मैं जी उठता हूँ,
जब तुम,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
कहती हो.......
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम
साथ हरदम...हमेशा....
आपकी सबसे बेहतरीन कविताओं मे से एक के लिये बधाई...
आपमें बहुत अच्छा लिखने का पोटेंशियल है. कविता लेखन और अभिव्यक्ति को अभी और धार की दरकार है.
स्नेह सहित,
मीनू खरे
कहती हो.......
मेरे बहुत करीब आकर
कि रहेंगे हम साथ हरदम...
हमेशा....
kya baat hai laazwaab ,ati sundar
बेहद मादक एहसास कराती
रूमानी कविता के लिए शुक्रिया
ज़नाब
बुरा न माने तो पूछना है एक बात
"यह असफ़ल प्रीत की पीर तो नहीं..?"
हा हा हा मज़ाक कर रहा हूं
पुन:
बधाईयां
बहुत अच्छी रचना , आपको बहुत बहुत बधाई !!!
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