कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था.
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
86 टिप्पणियाँ:
waah bade bhaaai, mere blog pe lagi tasweeron ko kamaal bol ke mera man bahla dete hain aur khud bemisaal kavita ke sath gazab ki tasweer daal rahe hain....
Hai qurbaan jaun is jugal bandi pe... din bhar se beemar hoon fir bhi is post ko dekh kuchh der ke liye changa ho gaya..
ab is comment ko dekh kaun kahega ki Mashal flu me hai.. :)
wahi baat hui na ki-
''unke aane se aa jati hai chehre pe rangat... wo samajhte hain ki mareez ka haal achchha hai..''
Jai Hind...
सुन्दर चित्र और उससे मेल खाती हुई
रचना बहुत अच्छी है!
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बहुत खूब बड़े भाई...
ये दिल्लगी तो नहीं लगती कुछ गंभीर मामला है इन पंक्तियों से ही साफ़ उजागर है ...
नाईस्।
जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आस पास होता है
बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था॥
वाह अत्यंत सुन्दर रचना! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! चित्र भी लाजवाब है!
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
............. aaj ka yuwa yahee janne kee fikra men kyon rahta hai :)
bade prem se chuppi todte hai aap ... waah ,,,
आसूंओ का हिसाब .... कुछ तो दिल मे है पता चलता है .......... आखिर दर्द बोला तो सुनाई देगा
इस कविता की व्याख्या नहीं की जा सकती । कोई टीका नहीं लिखी जा सकती । सिर्फ महसूस की जा सकती है ।
" waah ! mahfooz bhai kamal kar diya aapne ..aapki is behtarin rachana ke liye aapko badhai "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
अब इतनी जज्बाती सी कविता पोस्ट की है की समझ नहीं आता क्या कहें बस भगवान से दुआ है की जबाब देने वाली आपको जल्द मिल जाये...कविता बहुत सुंदर है.
गोरखपुर से रिटर्न हुए हैं।
तगड़ा कनेक्शन लगता है।
बहुत सुन्दर तरीके से व्यथा का वर्णन किया. बहुत खूब लिखा आपने.
मह्फ़ूज़ भाई ख्वाब देखो तो हाथो हाथ पूओरे करने की कोशिश भी करो. अब सबको ख्वाब दिखाकर तुम मस्ती करते फिरो तो अगली को तो और भी कम थे ना सो इतने दिन मै सब १-२ बच्चे की मा बन गयी होन्गी. उमर निकल रही है अब चट मगनी पट ब्याह की युक्ति से काअम चलेगा.
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
बहुत बढिया !!
bahut sundar !!!!!1
आरा हिले छपरा हिले बलिया हिलेला....
अब गोरखपुर के हिलावा तो जानी ना....:):)
डान को भी प्रेम होता है काSSSSSS
ऐसी कविता ...!! दाल में कुछ काला नज़र आरहा है.. या दाल ही काली है...
जो भी है..महफूज़ मियाँ ...बहुत अच्छी लगी है...कविता आपकी..
क्या बात है भाई इतने दिन के बाद चुप्पी तोड़ी तो हक़ीकत लिखा डाली...भाई हम भले मज़ाक कर रहे हो पर इतनी बढ़िया भाव व्यक्त करने के लिए कुछ ना कुछ ज़ज्बात को होना ज़रूर पाया जाता है..चलिए अब आगे का हाल भी पढ़ा दीजिएगा जवाब मिलने के बाद का...बेहतरीन अभिव्यक्ति...बधाई महफूज भाई..
ये तो सचमुच बड़ी भावपूर्ण कविता है...इतनी शिद्दत से मिस कर रहें थे...ओह्ह ...पर किसे :)
दिल की आवाज़ नज़्म बन गयी आज ,
ज्यादा नहीं, एक जवाब की इल्तजा है आज ....![:)]
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं ?
ये भी कोई पूछने वाली बात है, बिल्कुल उदास रहती होंगी, जरा उनसे पूछ तो लीजिए :)
ओर नय्यी तो के?...
बावले...वो बी तैन्ने खूब प्यार करे थी...पर बताण का टैम कोणी था उसके पास ...हा...हा...हा..
सुंदर रचना
मुन्ना भाई को प्यार हो गया...:)
अपने अनुभव से कहूं तो, नहीं.. उदास नहीं रहती होगी.. वो खुश होगी अपनी नई दुनिया में..
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है...
जय हिंद...
(ये ऊपर फोटो किन फुके हुए महाराज की लगा रखी है)
सवाल ये है की प्रश्न किससे पूछा जा रहा है ?
पता ठीक नहीं हो तो खत पहुँचता नहीं
Kuch Sawalon Ke Jawab Nahi Milte... :(
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
क्या उत्तर मिला इस प्रश्न का महफ़ूज़?
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
-ई का होई गवा गोरखपुर मे जी?? कौनो ..हम्म!!!
तूने इतना याद किया तो उसने भी किया ही होगा...:)
तेरे कविता के लेबल मेरे समझ से परे हैं .....!!
पहली ही लाइन में हड़का दिये ! पहले हाल-चाल पूछने दो भाई ! धीरे-धीरे खुलना स्वभाव होता है ऐसे वक्त में !
और उदासी तो रहेगी ही ! वह टूटॆगी ही तब जब हाल पूछना शुरु होगा !
तुम दूर हो
पर मेरे ही आसपास हो
मेरे लिये तो तुम
मेरी श्वास हो.
---
बहुत सुन्दर रचना
एक अन्तरंग रिश्ते को खूबसूरती से बयाँ करती है कविता.
सुन्दर अभिव्यक्ति!
उदास , धत कौन कहा , एकदम नहीं हमको मिली थी न एक दिन कह रही था हम तो खुस हैं ई महफ़ूज़ मियां के साथ तो हम बहुए कंफ़ूज़ थे जी ,
पूछे काहे ,
अरे हमरे साथ रहते हैं तईयो और नहीं रहते हैं तईयो , हमसे भी खाली ब्लोग्गिंग ब्लोग्गिंग बतियाते , अब समझ गए हैं सब पोस्ट ठेलने का जुगाड है , और कुछ पूछना है का
अजय कुमार झा
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो
सुन्दर अभिव्यक्ति
regards
भाई गोरखपुर मे ऐसा क्या था जो इतना जज्बाती हो गये? मुझे तो पूरी दाल ही काली नजर आरही है.:)
बेहतरीन अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं. बसंत पंचमी की घणी रामराम.
रामराम.
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
तसल्ली के लिए जानना जरूरी है :)
kyun nhi hogi wo bhi udas jise koi ittni shiddat se chahe..........kyun hai na.......dard dono taraf barabat hi hota hai........sundar bhav.
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
गमखार इतना तो बता ही दे !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
अच्छा मिंया, ये बताइए कि आपने यह कविता दिल से लिखी है कि दिमाग से?
माफ़ करना भाई. स्माइली लगाना भूल गया। :)
दिल निकाल कर रख दिया है आपने महफूज़ भाई ............ क्या दूर रह कर भी तुम उदास रहती हो ......... भाई इस बात को अपने दिल से पूछ कर देखो ....... जवाब मिल जाएगा ............. बहुत गहराई से लिखा है ..........
कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,
उसे धड़कन बना कर पास रखा था,
तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,
उसे आँखों में बसा कर रखा था.
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
Shaayad Shaayad Shaayad
IS SAWAAL KA JAWAAB NAHIIN MILEGAA
PARANTU JINDGII KO VARTMAAN MEN JEENA CHAAHIYE
HAANLAANKII VARTMAAN MEN JEENA
BAHUT BAHUT BAHUT MUSHKIL HOTA HAI
BUT KOSHISH KIIJIYE
MAIN APKE SAATH HOON
SAB KE SAB APKE SAATH HAIN
KHUDA BHII APKE HII SAATH HAI
महफूज़ जी कुछ दिनों पहले पढ़ी थी एक पाषाण की कविता ....." नाम तेरा अभी मैं अपनी ज़ुबां से मिटाता हूँ..."
फिर .....
रोक सको तो रोक लो: -
और अब ......
आंसू का हिसाब ....?????
जिससे सवाल पूछा है वही जवाब देगी ,,हम क्यों दें ?
अपने अनुभव से कहूं तो, नहीं..
उदास नहीं रहती होगी..
वो खुश होगी अपनी नई दुनिया में..
भइये, पहले ये तो बताओ कि ये सवाल किससे पूछ रहे हो, तभी तो जवाब मिलेगा।
--------
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भारतीय सेना में भी है दम, देखिए कितना सही कहते हैं हम।
इसे पढ़कर मुंह से वाह और दिल से आह निकल रही है
वाह, बहुत ही गहरे एहसास
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
वाह अरे तो जा कर पूछ लिया होता ब्लाग पर वो शायद जवाब देने से शर्मा रही हो? बहुत अच्छी कविता है शुभकामनायें
सही कहा महफूज़ जी ऐसा लगता है इस बार दिल से लिखा है. हर एक लाइन दिल तक पहुंची और दिल की दुआ कुबूल होती ही है
महफूज़ भाई , निश्चिन्त रहिये . आग थी दोनों तरफ बराबर लगी हुई !
बहुत सुन्दर तरीके से व्यथा का वर्णन किया. बहुत खूब लिखा आपने
बड़ा सटीक प्रश्न कर दिया है ....खूबसूरत भाव ....अच्छी प्रस्तुति..
bahaut khoob mahfooz bhai !!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति है सवाल जवाब यूँ ही याद आते हैं लफ़्ज़ों में अक्सर शुक्रिया
कहाँ खो गयीं थीं तुम?जवाब दो....मत पूछो हाल मेरा,पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,उसे धड़कन बना कर पास रखा था,तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,उसे आँखों में बसा कर रखा था.
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ तुमसे,क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
bahut badhiya likha hai
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ...सुंदर रचना
आपकी कविता अच्छी है -
साथ में तस्वीर रखी है
वह शायद
अमरीकी गायक फ्रांक सीनात्रा की है ?
लिखते रहीये ...
आज बसंत पर्व है
..भारत में ,
इस पर्व पर ,
लोग प्रसन्न होंगें ..
आपको भी शुभकामनाएं भेज रही हूँ
स स्नेह
- लावण्या
तस्वीर देखकर तो लगता है जैसे ये सवाल सिग्रेट से किया गया हो।
वैसे सिग्रेट भी सौत होती है ---।
तस्वीर देखकर तो लगता है जैसे ये सवाल सिग्रेट से किया गया हो।
वैसे सिग्रेट भी सौत होती है ---।
Namaskar ji
Adabhut rachana
वाह महफूज़ भाई .. क्या खूब लिखते हैं .. .. जानते तो हैं ही की उदास रहती थी .. मगर कानों से सुनना चाहते हैं . बहुत सुंदर !बधाई !
phle to hausla afzai ke liye shukriya...
aapki ye nazm bahut emotional hai...achhi lagi
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
bahut khoob...
और ऊपर तस्वीर भी दिलकश लगाई है आपने...
देख कर दिल कर ही आया..एकाध कश लगाने का.....
:)
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बहुत ही गहरे भाव उजागर करती ये पंक्तियां बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।
bahut sundar prashnabhivyakti...!!
क्या दूर रह कर तुम भी उदास रहतीं थीं?
shaandaar pankti!!
and wth shikhaji
भगवान से दुआ है की जबाब देने वाली आपको जल्द मिल जाये..
bahut sundar............
सुंदर कविता.
एक तीर से कई शिकार.
वाह!
.... सुन्दर रचना !!!!
मामला गंभीर है भय्या......
Iska jawab tho mere pass bhi nahi hai .
Waise kavita bahut achi lagi ;)
तो आप भी प्रेमजाल मे फंस गये पर अदायें आपकी अब भी वही हैं उद्दंड । जवाब दो, एकदम ऑर्डर ।
choti aur sundar rachna..
बहुत सुन्दर कविता है भाई, धन्यवाद.
बहुत खूब !!!!!!!! उदास होकर भी मुस्करा उठी !!!
तूने इतना याद किया तो उसने भी किया ही होगा...:)
तेरे कविता के लेबल मेरे समझ से परे हैं
कहाँ खो गयीं थीं तुम?
जवाब दो....
मत पूछो हाल मेरा,
पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.
बहुत शानदार।
कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
" मेरे हर आंसू का जबाब दो "
मन को छूती रचना |बहुत बहुत बधाई |
आशा
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