जनाब पवन कुमार सिंह जी से मेरी मुलाक़ात अपने मेरे अपने शहर गोरखपुर प्रवास के दौरान हुई. जनाब पवन कुमार सिंह जी मेरे हमउम्र ही हैं और इस वक़्त गोरखपुर में जोइंट मैजिस्ट्रेट की बसात से ओज हैं...जनाब पवन कुमार सिंह जी लखनऊ के भी Sub divisional magistrate रह चुके हैं. लखनऊ में प्रशासनिक शौर्य गाथा आपकी बहुत मशहूर है. लखनऊ में मुहर्रम के दौरान इनके वक़्त में पूरे अमन-ओ-चैन के साथ ताजिये का जुलूस निकलता था. पवन जी बहुत ही सदाक़त-म' आब शख्सियत हैं.
पवन कुमार जी शुरू से ही एक मेधावी छात्र रहे....पढाई लिखाई में हमेशा अव्वल....इनकी मेधा ऐसी तीखी की आईएस बनना बायें हाथ का खेल रहा....इस उपलब्धि में इनके पिता श्री जो कि पुलिस सेवा में रहे का भरपूर हाथ रहा.... आपके पिताश्री ने पुलिस सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है.....इनके पिता भी बहुत तीक्ष्ण दिमाग के व्यक्ति रहे....उनका व्यक्तित्व भी बहुत प्रभावपूर्ण है....जो भी उनसे मिलता है...उनकी मृदुभाषा से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता....
जैसा की मैंने आपसे बताया ..जनाब पवन कुमार जी एक आई.ए.एस होने के साथ-साथ एक पहुँचे हुए शायर भी हैं......इस ग़ज़लगो ने ग़ज़लों की दुनिया में भी धूम मचा रखी है....मैं ग़ज़लों की तमीज तो नहीं रखता लेकिन इनकी ग़ज़लों ने हमेशा मुझे झिंझोड़ा है..... आपको उर्दू की बहुत ज़हीन इल्मियत हासिल है. आप सही मायनों में ग़ज़ल को ग़ज़ल लिखते हैं. कहते हैं कि बिना उर्दू और फ़ारसी के ग़ज़ल बन ही नहीं सकती और आप ऐसा लगता है कि आपकी क़लम से उर्दू कि स्याही निजात होती है. हालांकि...आजकल ग़ज़ल हर भाषा में लिखी जा रही है. आपकी कई ग़ज़लें हिंदुस्तान के मशहूर क़िताबों में निशाँ-ऐ-शुहूद हो चुकी हैं. कई मशहूर ग़ज़लकारों ने आपकी ग़ज़ल को इल्मियत तौर पर तस्दीक किया है. इसीलिए आज की मेरी पोस्ट जनाब पवन कुमार जी के नाम आबिद (समर्पित) करता हूँ...उम्मीद ही नहीं ...यकीं है आप सब भी मुझसे ज़रूर इत्तेफ़ाक़ होंगे......
मैंने अपने गुरु मशहूर गीतकार और ग़ज़लकार जनाब जावेद अख्तर जिनसे मैं आजकल ग़ज़ल की बारीकियां सीख रहा हूँ...से आपके बारे में ज़िक्र किया और उन्होंने ने भी आपकी उर्दू ग़ज़लों को लायक-ऐ-तहसीन किया है. और आपको हिंदुस्तान का उभरता हुआ ग़ज़ल गो का तमगा दिया है. जनाब जावेद अख्तर साहब कहते हैं कि ग़ज़ल वो होती है जिसे गाई जा सके और आपकी ग़ज़लों को जावेद साहब ने उसी रूप में तस्दीक किया है. मैंने भी सोचा की मैंने हर विधा में लिखा है तो क्यूँ ना ग़ज़ल में भी हाथ आज़माया जाये? पर ग़ज़ल की बारीकियों को सीखने की ज़रूरत थी और उसके लिए एक अच्छे गुरु की ज़रूरत थी और जनाब जावेद साहब से अच्छा गुरु कौन हो सकता था. उम्मीद है की आने वाले दिनों में आप सबका तार्रुफ़ मेरी ग़ज़लों से भी होगा. ग़ज़ल सीखने में जनाब पवन कुमार सिंह जी भी मेरी काफी मदद कर रहे हैं. आपकी एक भूरे कवर की डाइरी है... जिसमें कई उम्दा ग़ज़लें आपकी क़लम से शिरकत कर चुकी हैं. मेरी आपसे गुज़ारिश है कि आप अपनी डाइरी के पन्नों को अपने ब्लॉग पर पूरी तरह से उकेर दें. आपकी एक ग़ज़ल जो मुझे बहुत दिल अज़ीज़ है...जिसमें आपने मोहब्बत में टूटने के एहसास को ... और टूट के फिर से खड़े होने के जज़्बात को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है....तो पेशे-ऐ-ख़िदमत है आपकी वही उम्दा ग़ज़ल ... तो हज़रात!!!! ज़रा आप सब भी मोलाहिजा फरमाइयेगा...
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
आपका यह कहना है कि जिंदगी में जिन चीज़ों की ज़रूरत सबसे ज्यादा होती है उनमे दोस्तों को भी शामिल किया जाना बेहद ज़रूरी है। दोस्तों की ज़रूरत आपको उस समय सबसे ज्यादा होती है की जब आप उदास होते हैं या फ़िर कि जब आप काफी खुश होते हैं. वक्त पर दोस्तों का काम आना आपके लिए तसल्ली देने वाला लम्हा होता है। दोस्ती के बारे में एक बात और ,दोस्ती हमेशा तभी होती है जब आप निस्वार्थ तरीके से किसी से जुड़ते हैं. मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं. चलते चलते पेश है आपकी एक और ग़ज़ल...
ज़रा आप लोग भी नोश फरमाइयेगा...
तेरी खातिर खुद को मिटा के देख लिया !
दिल को यूँ नादान बना के देख लिया !!
जब जब पलकें बंद करुँ कुछ चुभता है,
आँखों में एक ख्वाब सजा के देख लिया !!
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,
सबको अपना हाल सुना के देख लिया !!
खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,
बुत के आगे सर को झुका के देख लिया !!
वस्ल के इक लम्हे में अक्सर हमने भी,
सदियों का एहसास जगा के देख लिया !!
दिल को यूँ नादान बना के देख लिया !!
जब जब पलकें बंद करुँ कुछ चुभता है,
आँखों में एक ख्वाब सजा के देख लिया !!
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,
सबको अपना हाल सुना के देख लिया !!
खुद्दारी और गैरत कैसे जाती है,
बुत के आगे सर को झुका के देख लिया !!
वस्ल के इक लम्हे में अक्सर हमने भी,
सदियों का एहसास जगा के देख लिया !!
इत्तेफाक यह देखिये आज... कि... मैंने दिन में यह पोस्ट लिखी और शाम में जनाब पवन जी का फोन आ गया... कि आप लखनऊ में ही हैं... और अभी उन्ही से मिल कर आ रहा हूँ... वो दिन दूर नहीं जब हम हिंदुस्तान के बड़े नुमाईन्दा शायरों और ग़ज़ल कारों में आपका नाम शुमार होते हुए ... फ़ख्र से देखेंगे. जनाब पवन जी के लिए बहुत सारी दुआएं...... आमीन....
99 टिप्पणियाँ:
जनाब पवन कुमार सिंह जी से मिलकर अच्छा लगा!
इनकी रचनाएँ भी बहुत बढ़िया लगीं।
तआरुफ कराने के लिए आपका आभार!
pawan jee ke aur klaam bhee padhvaaye
likhate to bahut acchaa hai . aapkaa shukriya milvane ke liye
ओय होय !!
ग़ज़ल !!
सबसे पहले इस आलेख का शीर्षक मुझे बहुत पसंद आया है...एक धनात्मक जज़्बा दिखा रहा है...
क्या बात है. जनाब लगता है पूरी कमर कस ली है आपने... ग़ज़ल सीख कर ही दम लेंगे....
इस आलेख को पढ़ कर आपका एक और चेहरा नज़र आया है...बहुत अच्छा लिखा है आपने...शब्दों का चयन ..आलेख की रफ़्तार और आपके दिल की उदगार....माशाल्लाह..
उम्दा दर उम्दा होते गए हैं...
पवन कुमार सिंह साहब से आपने हमारा तार्रुफ़ करवाया ...शुक्रिया...
उनकी ग़ज़ल की बानगी भी बेमिसाल है....हम खुशकिस्मत है जो उनसे मिल पाए...
और आप महा खुशकिस्मत जो उनके करीब हैं...
अब आपकी ग़ज़लों का इंतज़ार है....
और उस दिन जो धमाका होगा...वल्लाह....
उस सुनामी के बारे में बस सोच ही रहे हैं हम ...:):)
पवन कुमार सिंह जी और उनकी रचनाओं से हमें परिचित करा कर बहुत ही अच्छा काम किया है।
भाई श्री पवन कुमार सिंह की शायरी
उम्दा लगीं और आपके दोस्त हैं
और आप ही की तरह हु
नरमंद और तीव्र बुध्धि के मालिक भी हैं
उनसे परिचय करवाने का शुक्रिया
और आप दोनों के उज्जवल भविष्य के लिए
मेरी दुआएं , कुबूल कीजियेगा
स स्नेह आशिष के साथ,
- लावण्या
श्री पवन कुमार सिंह के कवि से यह परिचय अच्छा लगा । इस देश में बहुत से प्रशासनिक अधिकारी हैं जो कवि हैं । इनमें अशोक वाजपेयी और स्व. सुदीप बनर्जी का नाम सर्वोपरि है । अधिकारी होने के साथ कवि होना एक दुधारी तलवार पर चलने की तरह होता है । व्यवस्था के साथ रहते हुए व्यवस्था की ख़ामियों को अपनी कविता में उजागर करना होता है । यहाँ वाह वाह करने वाले चाटुकारों की कमी नहीं होती लेकिन उनके बीच असली आलोचक को ढूँढना होता है । उम्मीद है श्री सिंह जिस युवा पीढ़ी के हैं उसके आदर्शों को देखते हुए इस परीक्षा में भी सफल होंगे । उन्हे मेरी शुभकामनायें और तुम्हे धन्यवाद ।
बहुत अच्छा लगा पवन जी से मिलकर उनकी रचनाये भी बहुत मनभावन hain ...और भी पढवाना उनका लिखा...बहुत शुक्रिया.
हम तो सोच रहे थे कि आज महफ़ुज भाई फ़िर पकाएंगे खिलाएंगे।:)
लेकिन उन्होने एक उम्दा शायर से मिलवाया,
इसके लिए हम उन्हे दिली मुबारकबाद देते हैं।
पवन कुमार सिंह जी से मिलकर आनंद आया
उनकी रचनाएं पढी, धन्यवाद आभार
पहली ग़ज़ल की जितनी तारीफ़ की जाये कम है. बस भव्गवान पवन जी को चाटुकारो से बचाये.
पवन कुमार सिंह जी की पहली गज़ल वाकई बेहतरीन है. खास कर यह शेर...
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !
..आभार.
महफूज भाई आपका भी जवाब नही, कुछ ना कुछ धमाका करते रहते हैं , पवन जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। और हाँ एक बात बताईये कि आप ने पवन जी के साथ वाले फोटो में आँखे क्यों बन्द कर ली है ??
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
पवन कुमार जी का ये शेर इसलिए और भी खास हो जाता है, क्योंकि आजकल बच्चों की खुदकुशी की ख़बरें सबसे ज्यादा सामने आ रही हैं.. ऐसे में उन लोगों को ये शेर ज़रूर पढ़ना चाहिए जो अपने बच्चों से ढेरों सपने पाल लेते हैं...
बहुत अच्छा लगा पवन कुमार जी से मिल कर और उनकी ग़ज़ल पढ़ कर...बहुत खूबसूरती से आपने परिचय कराया है....शुक्रिया
" janab pavan kumar ji se milke bahut hi accha laga ..bahut hi umda gazal mili hume unki kalam se .."
" wakai me...aapki ye post hatke hai hi .umda post "
" aapke dost pawankumar ji ko hamari aur se badhai dena "
------ eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
क्या ही ख़ूब कहते हैं जी आपके मित्र पवन। आतश-अंगेज़।
और प्यारे महफ़ूज़ मियाँ पोस्ट लिखने के इसी अंदाज़ की वजह से लोग आपसे इतनी मोहब्बत रखते हैं। लगता है लुगत नाज़िल हो रही थी आप पर, इस पोस्ट को लिखते वक्त हा हा। हमारी दुआएँ हमेशा आपके साथ हैं। मालिक नज़रे-बद से महफ़ूज़ रक्खे आपको।
फ़ीअमानिल्लाह।
'नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है
जियादा हो जो उम्मीदे तो बच्चे टूट जाते हैं '
समंदर से मोह्ब्ब्त का यही अहसास सीखा है
लहर आवाज देती है,किनारे टूट जाते हैं '
मुझे गज़ल की बहुत समझ नही .
,लिखने के क्या क्या नियम होते है ? नही मालुम .
किन्तु कुछ पन्क्तियो ने ..................
क्या लिखुं ? आइ .ए.एस. और गज़लकार?
अच्छा लगा
achhi khoj . pavan ji ki shayri behtarin hai.
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं...
बहुत ही उम्दा रचना...
पवन कुमार सिंह जी के बारे में जानकार अच्छा लगा...
वाह महफ़ूज भाई, पवन जी से मिलकर मजा आ गया, आप गजल की बारीकियाँ सीखिये हम भी गजल सुनते हैं जब बहुत मूड में होते हैं।
पवन कुमार सिंह जी से मिलकर अच्छा लगा!ओर्त इन की गजले बहुत खुब सुरत लगी,आप दोनो का धन्यवाद
बहुत आभार पवन जी से मिलवाने का. गज़ले बहुत पसंद आई. एकाध पॉडकास्ट भी लगवाओ!!
पॉडकास्ट के लिए संपर्क कीजिये
मेरा काम आसान कर दिया महफ़ूज भाई आपने...अभी कुछ दिन पहले ही पवन जी से बात हो रही थी। मैं उन पर पोस्ट लिखने वाल था। अच्छा किया कि आपने लिख दिया...
उनका तो एक अर्से से फैन रहा हूं मैं।
महफूज भाई,
जनाब पवन कुमार सिंह जी से यह परिचय अच्छा लगा!उनकी रचनाये भी बहुत-बहुत बढ़िया लगीं।
तआरुफ कराने के लिए आपका धन्यवाद !!
पवन कुमार सिंह जी से मिलकर वाकई बहुत अच्छा लगा!
गजल भी खूब रही!
आभार!
महफूज़ भाई कहाँ छुपा के रखे थे इस नगीने को, इस हीरे को.... बुरा ना मानें तो दिल की बात बोल दूँ कि जैसे आपने ये पोस्ट लिखी है, जैसे प्रस्तुत किया है, जैसे अल्फाजों का चयन किया है और जैसी सुन्दर ग़ज़ल ढूंढ के लाये हैं और जैसे गज़लकार को लाये हैं वैसा चमत्कार तो आपकी पिछली ५० पोस्टों में नहीं है.... ये मतलब नहीं कि आपकी पिछली ५० पोस्ट ही बेकार थीं... कहने का मतलब है कि आपकी हर पोस्ट अपने आप में एक आदर्श या उदाहरण तो होती ही है लेकिन ये उन सब की भी सिरमौर पोस्ट है क्योंकि इसकी ना सिर्फ ग़ज़ल बेहतरीन है, ना सिर्फ गज़लकार कमाल के हैं बल्कि जैसे आपने इनका परिचय कराया और अपनी शानदार उर्दू से हम सब का दिल जीत लिया वह अदा भी खूब है...
पवन जी तो कल के उभरते गज़लकार हैं ही... बल्कि हो ही गए समझिये लेकिन आप भी उभरते प्रस्तोता या एंकर हैं..
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
ग़ज़ल गायक का परिचय तो बाद में देख लेंगे ...अभी तो अपने भाई के लेखन कौशल पर ही मुग्ध हो चले हैं ...
उर्दू और हिंदी के शब्दों का प्रवाह ....और ग़ज़ल लिखना सीखने की शुरुआत ....
बहुत ख़ुशी हो रही है तुझे इस तरह से देखकर ....
लगता है जो तुझमे खो गया था ...फिर से लौटने लगा है ...बहुत बढ़िया महफूज़ ...वेल डन ...शाबास ...
@ दीपक ....
इतना डर कर बोलने की जरुरत क्या है ...सचमुच ही यह महफूज़ की अब तक की सबसे अच्छी प्रविष्टि है ...मित्र सच्चा वही जो हमेशा साथ तो दे मगर उसे आगाह भी करता चले .....
प्रशासन में संवेदनशील व्यक्ति का होना सुखद है.
शुक्रिया मिलवाने का.
..... बेहद प्रभावशाली ढंग से परिचय कराया है दोनो ही गजलें बेमिसाल हैं .... एक लाजबाव प्रस्तुति, बधाई!!!!!!
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
bade sahab ne bahut hi behtareen rachana rach daali ek se badh kar bhav gazal bahut bahut hi badhiya hai bhai.pawan ji ko bahut bahut badhai..app ko bhi is prstuti ke liye..
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
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बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
महफूज भाई , एक सच्ची खुशी मिली पवन जी से आपके द्वारा यहाँ कराये गए परिचय से, बहुमुखी प्रतिभा के धनी है पवन जी !
पवन कुमार जी कि गज़ल का तारुफ़ करने से पहले तो मैं ये कहुंगी कि आज महफ़ूज़अली साहब का एक रीपोर्टर का रूप बडा मज़ेदार लगा।
.... मिलिए हिंदुस्तान के एक उभरते हुए ग़ज़लकार से:
कहकर क्या बढिया शुरुआत की है भाई वाह!
उम्मीद रख़ते हैं कि हम और भी रचनाएं पवनकुमारजी से सुनाओ पाएंगे।
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
वाह!!!बहोत ख़ूब!
दोहरी शख्सियत के मालिक पवन कुमार जी से मिलवाने का शुक्रिया!!!
बहुत अच्छा लगा ak achhe shayer से मिल कर.
बहुत अच्छा लगा पवन जी का परिचय पा कर .सुन्दर रचनाये शुक्रिया आपका इनसे रु बरु करवाने के लिए
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
समंदर से मोह्ब्ब्त का यही अहसास सीखा है
लहर आवाज देती है,किनारे टूट जाते हैं '
पहली गज़ल से हटने का मन नहीं हो रहा दिल को छू गयी पवन जी को बहुत बहुत बधाई अब दूसरी गज़ल पढने जाती हूँ महफूज़ इस हीरी से्रूबरू करवाने के लिये धन्यवाद आशीर्वाद
जनाब पवन सिंह जी की शानदार गजलें पढ़वाने के लिये शुक्रिया ।
"और क्या देखने को बाकी है
आपसे दिल लगा के देख लिया "
बहुत बढ़िया !
पवन कुमार सिंह जी से मिल कर अच्छा लगा
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
बहुत सुन्दर! मशहूर गज़लकार से मिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! बहुत अच्छा लगा पढ़कर !
बहुत बहुत शुक्रिया महफूज़ जी इतने विलक्षण व्यक्तित्व से रूबरू कराने का...एक तरफ प्रशासन की जद्दोजहद और उस पर शायर का दिल....पता नही कितनी अनचीन्ही,अनजानी सी चीज़ें देख जाता होगा....सारे शेर बेमिसाल हैं..
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
....ये शेर तो लगता है हम महिलाओं के लिए ही लिखा गया है :)
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
क्या बात है पवन कुमार जी...महफूज़ बड़ा ही नेक काम किया इन जनाब से तारूफ्फ़
कराया...पापी पेट के लिए मुई मसरूफियत जान निकाले ले रही है...इसलिए तुम्हारी
पोस्ट पर भी लेट आया...दोस्ती का ज़िक्र छेड़ा है तो अपना फ़लसफ़ा भी सुन लो...
जहां सवाल होते हैं, वहां दोस्ती नहीं होती,
जहां दोस्ती होती है, वहां सवाल नहीं होते...
जय हिंद...
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
very touching lines!
meri shubhkamnaye Pawan ji aur aap ke liye humesha rahengi!
jai ho!
sabne itna kah diya ab mere liye kya bacha.........sirf itna hi kahungi ki pawan ji se milwane ka shukriya aur unka har sher seedha dil mein utar gaya.
उम्मीद से हट कर एक नई पोस्ट अच्छी लगी और उस पर आपका लिखने का अंदाज. पवन कुमार जी से मुलाकात करवाने के लिए आभार.आपके खास मित्र हैं तो जाहिर सी बात है की आपकी ही तरह प्रतिभा शाली होंगे.एक अच्छी पोस्ट पढवाने के लिए आभार
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
वाकई पवन कुमार के शेर प्रभावी हैं।
bahut sundar...!!
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं
कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,
सबको अपना हाल सुना के देख लिया
आमीन .......... बहुत ही खूबसूरत शेरों से और ग़ज़ब के शायर से मिलवाया है .......... पवन कुमार जी की सारी में ताज़गी है .... उनके कहने का अंदाज़ लाजवाब है ........ शेरों में जिंदादिली है .........
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
पवन कुमार सिंह जी से यह मुलाकात आपके माध्यम से हुई, आपका बहुत-बहुत आभार इन रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिये आपके लेखनी बहुत ही सटीक व प्रशंसनीय है ।
भाई महफूज़ साहब !
आपने बेहतरीन पोस्ट लिखा है |
श्रीमान पवन साहब ऐसी शख्सियत है|
जिन्हें शब्दों में कैद नहीं किया जा सकता मै आपको बताना चाहूँगा
कि सिंह साहब जितने अच्छे आईएस और जितने अच्छे लेखक है उससे
कहीं ज्यादा अच्छे इंसान है | जो उन्हें महानता की श्रेणी में ला खड़ा करती है |
सिंह साहब एक अच्छे क्रिकेटर भी है | वे बचपन से मेरे आदर्श मेरे गुरु रहे है |
जितना मै उनके बारे में जनता हूँ शायद ही कोई जानता हो| उनकी हर
रचना को मैंने उनकी जुबाँ से सुना है | आप बहुत अच्छा गाते भी है|
में तो उनकी हर अदा का कायल हूँ | आप की लेखन शैली बेमिसाल है और चंद शब्दों में पूरी में पूरी बात कह देते है |
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
और
सांसों में लोबान जलाना आखिर क्यों |
पल पल तेरी याद सताना आखिर क्यों || बेहतरीन ........
महफूज साहब आपका तहे दिलसे शुक्रिया
और सिंह साहब को शत शत नमन |
ज़नाब पवन कुमार जी से मिलकर और उनकी ग़ज़लें पढ़कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगा. एक आई.ए.एस. और शायर भी. बहुत खूब
पवनकुमार सिंह के बारे में जानकार बहुत सुखद एहसास हुआ . इतनी अच्छी गज़लें लिखीं हैं उन्होंने कि शब्दों में बयान करना मुश्किल है आपका आभार!
वाह सचमुच बहुत ही बढिया गज़लें पढवाईं आपने.बधाई.
सबसे पहले तो देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
क्या करें, सिर्फ शाम को ही समय मिलता है।
आई इ एस और गज़लकार, शायर।
भाई क्या बात है। सचमुच विरला ही होता है ऐसा।
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
क्या बात कही है। बढ़िया प्रस्तुति। आभार।
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
wah! kya baat hai!!!
आप भी कमाल के निकले महफूज जी. और पवन जी मिल कर अपने देवर दोस्त मोहनस्वरूप जो आइ.ए.एस .थे की याद आ गयी. अब नहीं है हमारे बीच . पवन जी को लम्बी उम्र की दुआ .
बहुत अच्छा लगा पवन जी से मिलकर उनकी रचनाये भी बहुत मनभावन hain ...और भी पढवाना उनका लिखा...बहुत शुक्रिया.
महफूज भाई,
जनाब पवन कुमार सिंह जी से यह परिचय अच्छा लगा!उनकी रचनाये भी बहुत-बहुत बढ़िया लगीं।
महफूज भाई,
जनाब पवन कुमार सिंह जी से यह परिचय अच्छा लगा!उनकी रचनाये भी बहुत-बहुत बढ़िया लगीं।
वाकई पवन कुमार के शेर प्रभावी हैं।
बहुत अच्छा लगा पवन जी को सुनकर...उमड़ा ग़ज़लें कहीं हैं...आप खुश किस्मत हैं की आपको ऐसा दोस्त मिला है...
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नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं!!
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
बेहतरीन, बहुत ही उम्दा शेर!
बेहतरीन गजलें पढवाईं आपने । खासतौर पहली गजल के हर शेर बहुत पसंद आये । शुक्रिया ।
singhsdm के नाम से जिन पोस्टों को अनवरत पढता था
, उनका नाम जनाब पवन कुमार सिंह है , यह आज ही जाना
हूँ , आभार इसके लिए ...
जनाब की पोस्टों पर अपनी राय देता ही रहा हूँ , अतः अलग से क्या कहना !
दोनों गजलें बेहतरीन हैं .. वाह .. वाह ..
.
.
आप जावेद साहब की शागिर्दगी में गजल का इल्म हासिल
कर रहे हैं , यहाँ तक तो अच्छा लगता है पर किसी की
शागिर्दगी में कोई गजल लिखना सीखे , यह बात
गले के नीचे नहीं उतरती जैसा आपकी पोस्ट से स्पष्ट हो रहा है ..
गजल का सम्बन्ध एक दर्द से है , उसे अगर दिल में जगह न दी गयी
तो ब्रह्मा भी किसी को शायर बना पाने में असमर्थ ही साबित होगा , इल्म
की बात कौन करे .. अब जरा इस शेर पर गौर करें जो
बड़ा मौजूं है यहाँ पर ---
'' दर्द को दिल में दें जगह 'नासिख'
इल्म से शायरी नहीं आती | ''
.
आभार ... ...
महफूज़ साहब ,
आप की ब्लॉग पर पवन की ब्लॉग से ही पहुंचा....एक शेर कौंधता है
जिंदगी से यही गिला है मुझे ,
तू बहुत देर से मिला है मुझे .
आप को ये तारुख मुबारक.
sumati
read taaruf to taarukh
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
वाह ... वाह ....
पवन जी से मॉल के अच्छा लगा |
mujhe lag raha hai blog ek shshakt maadhyam hota jaa raha hai...kaafi kuch mil raha hai yahan saste men...aur wo din bhi door nahi jab ye log account ke liye paisa maangna shuru kar denge...aap kuch karo
आपने दिल से लिखा...सच और उम्दा लिखा...उस इन्सान पे लिखा जिसने हर इन्सान पे लिखा....आप भाई की ग़ज़ल में आम इन्सान की शिकस्तों और आरजुओं की आवाज़ साफ सुन सकते है.मेरा पिछले जन्म का करम है की उनकी सरपरस्ती इस ज़मी पे नसीब हुई.इस पोस्ट में गोया आपने उनके एक पहलु को ही ज्यादा फोकस किया.आप उनसे रु-ब-रु भी है अपने पाया होगा कि वे खुद में इक मुक्कमल ग़ज़ल है....आपको इस पोस्ट को लिखने के लिए दिल से दुया.खुदा महफूज़ रखे आपको सदा...
लगातार पढ़ता रहा हूँ जनाब का ब्लॉग !
बहुत ही शानदार गज़लों का स्वाद लिया है वहाँ !
शख्सियत खोली आपने,आभार !
सम्भवत: टिप्पणी उपसंहार मुझे ही लिखना था। आप ने अनुभव किया होगा कि ब्लॉगर जन ने कितनी सकारात्मकता से इस लेख को ग्रहण किया है, स्वागत किया है. अर्थ यह है कि लोग आप से बहुत आशाएँ रखते हैं. आप इंगित समझ गए होंगे।
सिंह साहब के ब्लॉग का पुराना विजिटर हूँ. पढ़ता हूँ. आनन्दित होता हूँ. प्रशासन सँभालते लोगों में संवेदनाएँ जीवित रहें तो जनता के लिए शुभ होता है. अब देखना यह है कि ब्यूरोक्रेट और भावी राजनेता की मित्रता कैसे कैसे रंग दिखाती है :)
व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है. आप का इस पोस्ट के बारे में फोन/मेल आया तो मैं व्यस्त था और नवरात्र व्रत ले चुका था. आज दिन में समय मिलने पर टिप्पणी कर रहा हूँ.
ग़ज़ल और उर्दू दोनों की मेरी समझ कच्ची है और रहेगी क्यों कि कहीं कविता में मैं प्रयोग और उन्मुक्तता का समर्थक हूँ. ऐसा नहीं कि इस विधा में नहीं किया जा सकता लेकिन अपने बस का नहीं है.
फिर भी लय और अभिव्यक्ति के सौन्दर्य को तो सराह ही सकता हूँ. सिंह साहब की लेखनी के क्या कहने! अब आप की ग़ज़लों की प्रतीक्षा है. .. चरैवेति..
हाँ, विधेयात्मक बने रहें.
वाह भय्या.....
छुपे लोगो से परिचय कराकर दिल खुश कर दिए..
kyaa baat...kyaa baat...kyaa baat....!!
Pawan ji ko kahiye ki yun hi likhte rahen.
mahfuj ji achcha laga aapke wahan aakar.......
महफूज़ अली साहब आपको नमस्कार! आपके ब्लॉग पर प्रथम बार आगमन हुआ है. प्रथम बार में ही अपने मुझे काफी इम्प्रेस किया है. यूँ तो पवन कुमार जी का व्यक्तित्व किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है. पवन कुमार जी मेरे भी बहुत पुराने मित्र है बल्कि कहूँगा की मेरे सगे भाई से भी ज्यादा है. पवन कुमार जी का व्यक्तित्व है ही ऐसा की हर कोई उनसे जान पहचान करना चाहेगा. वो एक अच्छे नौकरशाह और शायर ही नहीं अपितु एक नेकदिल tahzibpasand इन्सान भी है.
महफूज़ साहब आपकी लेखनी को पढने के बाद मुझे लगता है कि आप बहुत आगे जायेंगे. आपकी लेखनी में वाकई जादू है. इश्वर से प्रार्थना करूँगा कि आपकी लेखनी का जादू हमेशा बरक़रार रहे.
जय हिंद जय भारत
पवन कुमार सिंह जी से मिलकर अच्छा लगा....!!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
dono gazle padhi ..wah wah wah ...aap sahi keh rehe hai mehfooj saheb bache ke ye tewar hei ...ki ..aapne waka kafi sahi pahchana ..bahusadgi se enhone aaj ke halato ko baya kiya hai apni taraf se nato tunj kiya aur na koi bhav diya ..yehi ache kavi ki pahchaan hai jo khud kavita se lupt o jata hai apne ko gehre parsva mein rekhker kahi gayi ye gajle apne samay ki nabj ki lay se hame parichit kerati hai ...bahut dhanyawad .....acha laga aapko padhna .....
बहुत शानदार। गजलें तो दिल छू कर निकल गई।
दिल में सवाल आया
इतने प्यार शब्द आते हैं कहाँ से
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी, ,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं !!
shaandar rachnaye ,man ko andar chhoo gayi ,maza aa gaya padhkar ,
saath hi pavan ji milkar aur unke baare me jaankar bahut achchha laga ,
पवन सिंह जी से मिलकर बहुत खुशी हुई जबर दस्त कलम है ।
बेतरतीब सा घर ही अच्छा लगता है,
बच्चों को चुपचाप बिठा के देख लिया !!
कोई शख्स लतीफा क्यों बन जाता है,
सबको अपना हाल सुना के देख लिया !!
क्या बात है ।
आपके सलाम का इंतजा़र है ।
pl read kalam not. salam
जनाब पवन कुमार सिंह जी से और उनके गजलों से तार्रुफ़ करा आपने नेक काम किया है. आपको बधाई.
बहुत दिनों से इस पर कमेन्ट लिखना पेंडिंग में था.. आज मौका मिला तो लगे हाथो लिख भी दिए.. :)
यह पढ़ कर मुझे एक शख्स कि याद आ गई.. मेरे पिताजी के मित्र थे.. वो भी बेचारे आई.ए.एस थे.. और उन्हें भी कविता लिखने पढ़ने और गाने का शौक था.. अब अगर कोई कलेक्टर पूरी सभा के बीच कविता पाठ कर रहा हो तो भला किसी कि क्या मजाल जो उसे रोक दे.. वो अपने राग के साथ गला फाड़ते रहते थे और बाकी सभी अपना सर खुजाते रहते थे.. :)
वैसे आपके मित्र कि कवितायेँ अच्छी हैं.. :)
पवन जी के बारे में जानकर अच्छा लगा. ग़ज़लें भी बहुत अच्छी हैं. सच कहा आपने. शायर और आइ.ए.एस. का रेयर काम्बिनेशन हैं पवन जी. और आप यूनिक हैं...
मेरी तबीयत के बारे में इतनी फ़िक्र करने के लिये थैन्क्स.
aapke zariye pawanji ko padh kar achha laga...waqai achha likhte hain...
जितनी शानदार पोस्ट उतनी ही शानदार कमेन्ट दीपक मशाल, वाणी गीत और अमरेंदर जी का बेहतरीन !!!! सागर खुश हुआ.
jo sabko laga,vo mujhe bhi..kya.."accha" :)
मुझे वैसे तो शायरी ज़्यादा समझ में नहीं आती लेकिन अल्फ़ाज़ कुछ अच्छा-सा महसूस करा गए ये वाले।
महफ़ूज़अली कुछ "हल्ला बोल" -सा हो जाये। आज-कल के नये समाचारों के मुताल्लिक। इंतेज़ार है एक नई पोस्ट का। फ़िर देर काहे की? "हल्ला बोल"
वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
umda lekh aur adbhut rachna... achha laga...
miya kah rahe the kal nayi rachna daalne ki soch raha hoon ,abhi tak soch se bahar nahi aaye kya?khali haath laut rahi hoon .
किधर हैं महफूज़ भाई ..... बहुत दिनो से कोई पोस्ट नही आई आपकी .... सब कुशल तो है ...
shukriya in saheb ki itni khubsurat ghazlen baantne ke liye..
nice
एक बस हमारी ही कमी थी शायद ............ लो हम आ गए .........
१००% सहमत हूँ आपसे पावन भैया है ही एसे जिस किसी से भी मिलते है उसको अपना मुरीद बना लेते है !! बहुत बहुत आभार और शुभकामनाएं !!
betrtib saa ghar hi accha lagta hai
baccaon ko cupcaap bithake dekh liya -: es panti ke liye danwad
महफूज भाई, वीणा जी की ब्लॉग के फीडबैक पर पढ़ा आपका बेटा नहीं रहा। बहुत दुख हुआ। मगर यह हुआ कैसे? - Vishal Mishra
(Varnika.mishra@rediffmail.com)
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