अन्नपूर्णा कूड़ा फेंकने घर के बाहर आई तो देखा कि तीन बूढ़े व्यक्ति घर के बाहर वाले चबूतरे पर बैठे हैं. अन्नपूर्णा ने उन्हें नहीं पहचानते हुए कहा " वैसे तो मैं आप लोगों को नहीं जानतीं, फिर भी घर के अन्दर आईये और कुछ भोजन ग्रहण कीजिये."
"क्या घर का मालिक घर में है?" बूढों ने पूछा...
"नहीं" अन्नपूर्णा ने कहा. "वे बाहर गए हैं."
"तब हम अन्दर नहीं आ सकते".. बूढों ने कहा.
शाम को अन्नपूर्णा के पति जब घर पर आये तो अन्नपूर्णा ने दिन की घटना के बारे में बताया.
"जाओ उनको बताओ कि मैं घर पर आ गया हूँ और आदर के साथ अन्दर ले आओ.." अन्नपूर्णा के पति ने कहा...
अन्नपूर्णा बाहर आई और उन लोगों को घर के अन्दर चलने के लिए आमंत्रित किया.
" हम एक साथ घर के अन्दर नहीं जा सकते," बूढों ने कहा...
"क्यूँ?" वो कारण जानना चाहती थी..
उनमें से एक बूढा बोला," मेरा नाम धन है तथा यह मेरे साथी सफलता और प्रेम हैं. अब तुम जाओ और अपने पति से विमर्श करके बताओ कि वो हम तीनों में से किसे घर के अन्दर आमंत्रित करना चाहते हैं."
अन्नपूर्णा अन्दर आई और सारा वाक़या अपने पति से बताया.
"ठीक है, धन को अन्दर आने दो जिससे हमारा घर भी धन से भर जाए." अन्नपूर्णा के पति ने कहा.....
"नहीं, क्यूँ ना हम सफलता को सफलता को आमंत्रित करें?" अन्नपूर्णा ने कहा...
दोनों की बेटी जो सारी बातें सुन रही थी ने कहा, "क्यूँ ना हम प्रेम को आमंत्रित करें जिससे कि हमारा घर भी प्रेम से भर जायेगा?"
अन्नपूर्णा के पति ने बेटी की बात को रखते हुए कहा, "ठीक है, जाओ प्रेम को ले आओ..."
अन्नपूर्णा बाहर गई और तीनों बूढों से पूछा, "आपमें से प्रेम कौन है? कृपया अन्दर आईये और हमारे मेहमान बनिए...."
प्रेम उठा और घर की ओर चल दिया. उसके पीछे - पीछे बाकी दोनों बूढ़े भी चलने लगे.....
आश्चर्यचकित होते हुए अन्नपूर्णा ने धन और सफलता से पूछा," मैंने तो सिर्फ प्रेम को आमंत्रित किया था .... आप लोग क्यूँ अन्दर आ रहे हैं?"
दोनों बूढों ने एक साथ जवाब दिया: "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
117 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर पोस्ट!
चित्र भी बहुत बढ़िया है!
बधाई!
वाह महफूज़ मियाँ !!
देर आये दुरुस्त आये...बहुत ही सुन्दर बात कह दी आपने...
हमें तो आपसे ऐसी ही बातों की उम्मीद रहती है...
प्रेम की महत्ता को कितनी खूबसूरती से आपने बता दिया..
बेहतरीन ..
बहुत ही सुन्दर लघु-कथा..
वाह महफ़ूज भाई बिल्कुल सही, प्रेम से तो सारी दुनिया बँध जाती है, धन और सफ़लता क्या चीज है।
क्या सुंदर कहानी पोस्ट की है .. सचमुच जहां प्यार होता है .. वहां सबकुछ होता है .. काश लोग इसे समझ पाते !!
बहुत बढिया पोस्ट
प्रेम जीवन मे मह्त्वपुर्ण है।
बधाई
बहुत गूढ़ बात कह दी भाई।
प्रेम है तो सब अपने आप आ जाता है।
बहुत अच्छी और भावपूर्ण रचना।
जलु पच सरिस बिकाई देखहु प्रीत किरीतिभलि ।
बिलग होई रसु जाई कपट खटाई परत पुनि । ।
प्रीति की सुन्दर रीति देखिए कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान भाव बिकता है,
वाह महफ़ूज़ भाई ,
बहुत खूब । और ये तो आजमाई हुई बात है अब जिसने आजमाई हो वही तो समझ सकता है , ...बहुत सुंदर लघु कथा है ..एकदम शिक्षाप्रद और अनुकरणीय ...शुभकामनाएं
अजय कुमार झा
अरे वाह क्या बात है...बहुत ही सच्ची और अच्छी बात कह दी ...वाकई जहाँ प्रेम है वहां सबकुछ है....पर मुश्किल ये है की हम उसे छोड़ बाकी चीज़ों के पीछे भागते रहते हैं. बढ़िया पोस्ट
वाह!...बहुत ही सुन्दर...सीख देती रचना
प्रेम बांटो सब में और पाओ प्रेम सबसे
आज बहुत प्रेम भरी पोस्ट लगाये हो महफ़ूज भाई
सारा ब्लोगजगत हो जाये प्रेममय सारा देश हो जाये प्रेममय
महमूद भाई आप को नमस्कार,
पैसा तो हाथ का मैल है, दौलत तो आती जाती रहती है, सबसे बड़ा तो प्रेम है जो की इन्सान के दिल मैं इन्सान के लिए और साथ ही साथ जानवर के लिए भी जगह बनता है।
बहुत बहुत धन्यवाद्।
अरे वाह महफूज भाई क्या बात है , आज तो प्रेम की गंगा आपके यहाँ से बह रही है ,, । अदा दीदी ने सही कहा ,भाई जब आते हो ना तो एक दम से आ ही जाते हो । आज की पोस्ट बेहतरीन रही ।
दिल्ली मैं कर रहा था आप का इंतजार ७ को
आप तो आये नहीं ,
मुझे लगता है की लखनऊ ही आना पड़ेगा
कभी मिलने के लिए ।
मियाँ हमारे एक सवाल का जवाब देंगे आप ?
वो ये कि-
आप इतनी प्यारी प्यारी बातें क्यूँ करते हो यार ? हाँ नहीं तो !
nice...............
nice..............
nice...............................................................................
दोनों की बेटी जो सारी बातें सुन रही थी ने कहा, "क्यूँ ना हम प्रेम को आमंत्रित करें जिससे कि हमारा घर भी प्रेम से भर जायेगा?"
us bachchi ne kitni samjhdari ki baat ki ,hum laalch me pad jaate hai magar bachpan in baton se achhota hota isliye jaroort ke sahi artho ko samajhta hai .dhan se nahi prem se sukoon milta hai ,pyar baante chalo ...bahut hi pyaari rachna jeevan ki jaroort ki aur ishara karti hui .
बहुर सुन्दर शिक्षाप्रद व प्रेरक कहानी है। बधाई स्वीकारे।
अच्छा लिखा है भाई जी .
वाकई प्रेम सबसे बड़ी पूँजी है. यह है तो सब हैं.
सुन्दर कथ्य.
पौराणिक कथा है ये...शायद प्रेम को सफलता और धन से बेहतर बताने के उद्देश्य से लिखी गयी थी...पर आज के ज़माने में इसके प्रासंगिकता को लेकर कुछ सवाल खड़े हैं महफूज़ भाई...जरा उठ कर अहाते में देखिये...
प्रेम ही मान्गुगा , वैसे बच्चे सही स्लाह देते है हमेशा
Khoobasuurat prastuti----hardika badhai.
Poonam
सुंदर अति सुंदर, प्रेम बिना सब सूना है.
रामराम.
प्रेरक कथा.
काश सब इससे प्रेरणा लें....बहुत अच्छी पोस्ट...गुनने लायक
बहुत सुंदर बात कही भाई जहा प्यार हो वही स्वर्ग भी होता है
सुन्दर लिखा है आपने महफूज़ बेटे ...
प्रेम ही सुन्दर है, सत्य है और शिवम् माने पाक भी वही है
- लावण्या
bachche kitne bhole hote hain !
unki hansee ke sath hum log sub bhool jate hain
unki nazaron se ye duniya dekho to naye rang mei naye andazmei dikhayee deti hai
mere grand son ko ye video dekh ker bahut hansee aatee hai
aap bhee dekhiyega
http://www.youtube.com/watch?v=ijhig6klaJU&feature=related
Laughin baby !
बहुत सुन्दर जीवन का मर्म बताती हुई रचना..!!
सादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
आज भी रचना को आपकी प्रतीक्षा है :)
प्रेम के सामने सब नतमस्तक हो जाता है और प्रेम से सब कुछ पाया जा सकता है प्रेम की ही यह शक्ति है की धन और सफलता सब उसके साथ चले आते है.. महफूज भाई बहुत ही बढ़िया बात कह गये आप इस पोस्ट के माध्यम से..प्रेम जिंदाबाद....और सार्थक लेखनी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
क्या कहू
किसी ने सुन लिया तो गज़ब हो जायेगा
भारत मे प्रेम करना जुर्म है इसीलिये जो बच्चे हो रहे है वो नफ़रत और हिन्सा से भरे हुए है
प्रेम सहिष्णुता सिखाता है भाई चारा सिखाता है लेकिन नही इससे दूर रहो महफ़ूज़ मिया
किसी ने सुन लिया तो गज़ब हो जायेगा
वाह महफ़ूज भाई बिल्कुल सही, प्रेम से तो सारी दुनिया बँध जाती है, धन और सफ़लता क्या चीज है।
बहुत बढिया पोस्ट
बहुत ही अच्छी कहानी । प्रेम हीं सारी खुशियों का राज है ।
बहुत अच्छा प्रसंग -जंह सुमति तहं संपत्ति नाना
बहुत ही सुन्दर लघु-कथा..
बी एस पाबला
प्रेम से तो सारी दुनिया है बहुत सुन्दर !!
बोधा कथा अदभुत बन पडीं है
बधाई छा गए गुरु
यह बोध कथा पुरानी अवश्य है लेकिन इसके अनेक अर्थ हैं । वर्तमान में धन के लोभियों ने और येन-केन सफलता चाहने वालों ने इसका अर्थ उलटा करके रख दिया है । अब धन के पीछे प्रेम आता है और सफलता प्रायोजित होती है । इस पूंजीवाद के युग में फिर भी प्रेम का अपना महत्व है और जो लोग इस महत्व को समझते हैं , पूंजी की असलियत को समझते हैं और पूंजीवाद का विरोध करते हैं ।
वाह ! खूबसूरत-सी बोध कथा लिख दी आपने । सूत्र-वाक्य है - "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
प्रविष्टि का आभार ।
bahut hi shaandaar, rochak aur prerak kahani bhaia...
itne din baad likha aur aate hi dhaansoo post.. shukriya
Jai Hind...
सुन्दर.. कभी मेल में अंग्रेजी में मिला था, आज हिंदी में पढकर मजा आ गया.. :)
love is God and key of success.
महफूज़ प्यारे,
घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...
महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...
जय हिंद...
इसीलिये कहते हैं कि
"बच्चे मन के सच्चे सारे जग की आँख के तारे..."
लाजवाब.. महफूज भाई.. वाकई प्रेम के सामने सबकुछ बौना नज़र आता है.. उसके पीछे तो सारी दुनिया है.. छोटी सी कहानी बड़ी सीख दे गई..
प्रेम जहा जाता है ...अपने साथ सुख शांति ले जाता है ....बिलकुल सही ...
बहुत सुन्दर बोध कथा ....
मगर ये बता कि तू आजकल इतने ज्यादा अन्तराल से क्यों लिख रहा है ...अब जब अच्छा लिखने लगा है तो निरंतरता होनी चाहिए ना....
तेरी दीदी ...
सुन्दर पोस्ट!!
सुन्दर बोधकथा!
प्रेम अगम अनुपम अमित सागर सरिस बखान।
जो आवत एहि ढिग बहुरि जात नाहिं रसखान॥
खूब प्रेम करो महफूज़ भाई !
अपना अँगना भी तो प्रेम से गुलजार करो। ये ब्लॉग जगत वाले आप-स्वार्थी हैं, वाह वाही करते रहेंगे और काम की बात नहीं करेंगे।
खाली बोधकथा ही सुनाते रहेंगे कि 'बुद्धू' भी बनेंगे ?
महफूज भाई आज तो सचमुच आपने बड़ी ही ज्ञानवर्धक बात कहानी के माध्यम से कही ! इस तरह की कहानियों को सर्वथा बच्चो की पाठ्यपुस्तक में शामिल किया जाना चाहिए मगर देश तो नेतावो और चाटुकारों ने मार दिया हमारी सुनेगा कौन ?
मैं आपकी इस कहानी को दस में से दस नंबर देता हूँ !
महफूज भाई। एक दम स्टीक लेकर आओ। सच में जहाँ प्रेम है वहाँ सफलता और धन चले आते हैं, लेकिन ये जरूरी नहीं कि जहाँ धन हो वहाँ शांति और सुकून हो। सबसे पहले प्रेम को आमंत्रित करो..लेकिन प्रेम को आमंत्रित करते हुए यह मत सोचो कि धन और सफलता भी आएगी। वर्ना लालसा युक्त प्रेम स्वाह हो जाता है।
Sundar bhav, shaandar prastuti.
गोदियाल जी की बात से सहमत, दस में दस पक्का… :)
बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई महफूज़ !
क्या बात है महफ़ूज़ जी!!!!!! अति सुन्दर. बधाई.
सुन्दर
वाह महफूज़ भाई वाह ! ये हुई न कुछ बा........त. प्रेम को सिर्फ एक ही नज़र से क्यों देख जाय सौहार्द्र, भाईचारा, वात्सल्य सभी प्रेम के ही प्रकार हैं. वो वाकई खुशनसीब हैं जिन्होनें ये सब पाया हैं या महसूस किया है.
बहुत सही।मगर अफ़सोस हम वही नही करते बाकी दोनो के पीछे भागते रहते हैं।
महफूज़ प्यारे,
घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...
महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...
जय हिंद...
KHUSHDEEP SEHGAL JI 100% SAHMAT
महफूज़ प्यारे,
घर पर प्रेम तो बेशुमार आकर बस गया है...ये धन और सफलता वाले बुढऊ कहां रास्ता भूल गए हैं...ज़रा कहीं मिलें तो भेजो तो सही हमारे ठिकाने...
महफूज़ जैसी ही खूबसूरत पोस्ट...
जय हिंद...
KHUSHDEEP SEHGAL JI 100% SAHMAT
ye to dil ki keh di :)
महफूज साहब
प्यार की भाष तो सबसे निराली भाष है
बेहतरीन कहानी लिख रहे है आप
आभार ...........
how sweet !!!
जीवन में प्रेम के वास्तविक महत्व को दर्शाती बहुत ही सुन्दर बोध कथा....
आभार्!
pyaar sreshth hai aur uske saath hi baki ka saundarya hai
वाह मेरे सैरेलेक बाय क्या मारा है
इतनी सुन्दर बोध-कथा को आपने अपनी पोस्ट बनाया, आभार.
सुन्दर बोध-कथा है. Thanks
जी महफूज़ जी ...प्रेम करना खुदा की इबादत करना होता है ...जहां प्रेम नहीं वो घर नर्क के समान है .....वहाँ लक्ष्मी का कभी वास नहीं होता...आपने अभी शादी नहीं की इस बात को गांठ बांध लीजियेगा .....!!
बहुत दिन बाद नज़र आये हो लगता है कहीं प्रेम की तलाश मे ही थे
बहुत सुन्दर बोध कथा है सही मे जहाँ प्रेम है वहां सब सुख हैं। बधाई इस्रचना के लिये और आशीर्वाद्
mahfooz ji
bahut hi shikshaprad kahani lagayi hai ........kash sab isse shiksha le .
बहुत ही सुन्दर बोध कथा...बिलकुल अनुकरणीय
वाह!!क्या बात है "महफ़ुज़ अली" आप तो बहोत कुछ कहाँ गये। कहाँ से दिमाग पाया है? क्या खाते हो भाई? जो इतनी अच्छी बातें करते हो? आपके तो अब प्रशंसक भी बढते ही जा रहे हैं ।
nice post bhai jaan
बड़े दिनों बाद पोस्ट लिखी महफूज़ भाई........पर कहते हैं न देर आयद दुरुस्त आयद .....बहुत अच्छी लघु कथा.
बहुत सुन्दर रचना! और बहुत कुछ सिखा देती है ये कहानी.
आप ऐसे ही लिखते रहा कीजिये अच्छा लगता है आपको पढना.
बधाई हो!
जय हो !
आज के समय में हर स्थान पर पीड़ा का होना ......प्रेम न होने के कारन है !आप बहुत सार्थक लिखते हैं ,शुभ कामनाएं ! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
wakai prem mein bahut shakti hoti hain.jahan prem hai wahan sab kuch hai.nice.
महफ़ूज़ साहब, आदाब
"प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
बहुत खूबसूरत अहसास.....
ये बात हमारे मुल्क के लोगों...
और सियासी रहनुमाओं की समझ में आ जाये..
तो हिन्दुस्तान फिर से सोने की चिड़िया बन जाये...
बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत ही खुबसूरत चित्र के साथ शानदार प्रस्तुती ! बधाई!
महफूज जी ,चलिए मैंने आपके प्रेम को ऊपर रखने के इस लेख के सदके मैंने आपको मुआफ किया
एक कारण और भी है कि उम्र में बड़ी हूँ आपसे .
अगर छोटी होती तो मुआफ तो कत्तई न करती ,पेनाल्टी जरूर ठोंक देती
खैर ,अनुसरण के लिए धन्यवाद ,थोड़ा हौसला बढ़ गया मेरा
प्रेम ईश्वर है ,प्रेम से बड़ा कुछ नहीं
उम्मीद है अब आप मेरी गली आते रहेंगे
prem se badh kar kuch nahi...
अजब प्रेम की गजब कहानी !:)
महफूज भाई, कमाल की और प्रेरणादायक पोस्ट लिखी है आपने...पढ़ कर अच्छा लगा...
khoobsoorat prastuti ke liye badhai.........
उसने कहा -''तुम प्रेम हो ? ऐसा कैसे हो सकता है ? मेरे पापा कहते थे तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो और 'उसने' तुम्हे 'प्रेम' से बनाया है ,तुम्हारी नसों में खून की जगह ' प्रेम' बहता है .''
मैं बोली -''पापा! ये तो आपकी नजरे देखती है और पहचानती है,मैं 'सरवाइव' कैसे कर पाऊंगी , आपकी इस दुनिया में जहा शुद्ध व्यापार चलता है रिश्तों का भी ,दोस्ती का भी.''
''और सभी व्यापारी ही व्यापारी है '' बात जारी रखते हुए अपने पिता से पूछा .
''मेरी लाडली! तुम्हारे पास कितना प्रेम का खजाना भरा है ,उसे 'यूज़' करना.जितना खर्च करोगी उतना तो मिलेगा ही ,हो सकता है उससे ज्यादा ही मिले . कुछ तुम्हे चीत कर सकते हैं किन्तु कुछ से तुम्हे कई गुना ज्यादा भी मिल जायेगा.कुल मिला कर ये सौदा घाटे का नही है '' मेरे पापा ने समझाया था ''
.........................................
'उसने' कहा -''अजनबी तुम कोई भी हो मेरे घर में बाहर से आये प्यार/प्रेम की कोई आवश्यकता नही है.प्रेम के नाम पर तुम 'धोखा' भी हो सकते हो ., .मेरे घर में हम सब प्रेममय हैं,'प्रेम को जन्म देते,वो ही यही उपजता है. .
तुम किसी दिन चले जाओगे छोड़ कर, पर जो हर पल ओक्सिजन या कार्बन्दाइओक्साइद की जगह भी 'प्रेम' को 'इन्हेल' 'आउट हेल ' करते हैं उनके यहाँ तो ये कम हो ही नही सकती ना और हमे छोड़ कर जा सकता है कहीं ??''
महफूज़ के तीनो पात्र एक साथ चिल्लाये-'' 'माँ'! तुम यहाँ हो.हमने कहाँकहाँ नही ढूँढा ,तुम नही मिली. आज मिली हो,महफूज़ भैया आपने हमे अपने घर तक पहुंचा दिया .थेंक्स
मगर हम चाहते है हम हर घर में रहे क्योंकि यहाँ कोई पराया नही .सब हमारे हैं हम सबके हैं ,मगर भाईजान हमे बुड्ढा कहा तुमने ,हम कभी बुड्ढ़े नही होते ना प्रेम,ना सफलता ना ख़ुशी ,सुख,शांति या......................हमारी मम्मा .........'इंदु'
बहुत सुंदर कहानी है महफूज़ भाई ... सच है जहाँ प्रेम का वास होता है वो जगह स्वर्ग से भी अच्छी होती है ... धन और सफलता तो अपने आप चले आते हैं ... माफी चाहता हूँ देरी से आने के लिए ...
दोनों बूढों ने एक साथ जवाब दिया: "प्रेम जहाँ भी जाता है, हम उसके साथ जाते हैं..."
Bahut sundar chitramay laghu katha ke liye dhanyavad..
.... प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई !!!
प्रेम की श्रेष्ठता सर्वमान्य है,परन्तु उसे एक बोधकथा के रूप में प्रस्तुत करना, आपके लेखन की श्रेष्ठता को सिद्ध करता है....
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ आपके बोधगम्य लेखन के लिए.........
bahoot hee achha laga aap ka blog
लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100
लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100
लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100
लीजिए
अकाद बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी बब्बे पूरे 100
वाह महफूज बेटे क्या बढिया कहानी पढाई है । आभार ।
Bahut sundar post! Maza aa gaya!
Holi aur eid mubarak ho!
आप सभी को ईद-मिलादुन-नबी और होली की ढेरों शुभ-कामनाएं!!
इस मौके पर होरी खेलूं कहकर बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ें.
होली और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ...
सुंदर प्रेरणा कथा.
आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !
बात सौ टके की..
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
shukria,aapka comment bhi bahut khubsurat laga aur pavan ji ki gazalein lajawab aur sirf prem karna...zindagi ka saar.
good luck.
inspirational...bahut hi khoobsurat aur pyari kahani...
kya baat hai bhai...............beautiful story.
kahin bahut pehle ye kahani padhi thi...aaj fir se taza ho gayi.
acchhi aur margdarshak kahani.
kahin bahut pehle ye kahani padhi thi...aaj fir se taza ho gayi.
acchhi aur margdarshak kahani.
bhai bahut hi achI rachna hai mast ho gaya
are yaar magar tu hai kahaan....??
:) aisi posts ka samay samay par aate rehna sikha deta hai ki prem ka jeevan me kitna mahtvapurn sthan hai ..thanku for sharing.
सुन्दर! इस बोध कथा को तो सभी देशों के सिलेबस में होना चाहिए!
प्रेम का सन्देश देने वाली पोस्ट हमारी नज़रों से ओझल कैसे रह गई.. खूबसूरत कथा का प्रेममयी भाव मन को मोह गया. हमारा तो अटल विश्वास है कि 'प्रेम ही सत्य है'
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