अगर सोचा जाए कि कोई नाम ही नहीं होता तो क्या होता? पेड़....पेड़ नहीं होता तो क्या होता? आम...आम नहीं होता तो क्या होता? मैं...महफूज़ नहीं होता तो क्या होता? समीरलाल जी...समीरलाल नहीं होते तो क्या होते? शिखा ....शिखा नहीं होती तो क्या होतीं? तो कहने का मतलब यह है कि अगर नाम नहीं होता, तो संसार का व्यवहार पल भर भी नहीं चल पाता, इसलिए नाम का बड़ा महत्त्व है और नाम से ही सहजता प्राप्त होतीं हैं.
नाम कई प्रकार से हो सकते हैं. कुछ गुण के अनुसार, कुछ कर्म के अनुसार, स्वभाव के अनुसार, सम्बन्ध के अनुसार और व्यवहार के अनुसार भी देखने में आते हैं. एक इंसान के कई नाम हो सकते हैं, लेकिन मुख्य नाम एक ही होता है. जैसे मेरा प्यार से पुकारा जाने वाला नाम "पप्पू" है (ही ही ही ...), मेरे घर में, नाते-रिश्तेदार सब पप्पू बुलाते है, लेकिन मुख्य नाम महफूज़ है. वैसे, नाम कैसा रखना चाहिए इसका भी मार्गदर्शन, धर्मानुसार, संस्कृति व् संस्कार में पाया जाता है. और यह भी कहा जाता है कि नाम का असर हमारे पूरे व्यक्तित्व पर भी पड़ता है. अब कोई इंसान बुधवार को पैदा हुआ तो घर वालों ने उसका नाम प्यार से बुद्धू रख दिया, तो वो इंसान अपने नाम के ऐकौर्डिंग ही बिहेव करेगा... वो वाकई में बुद्धू होगा. ऐसे ही अगर देखें तो मोनिका, अंजलि, रश्मि, टीना, रीटा, फ़िज़ां, और पारुल नाम की लडकियां हमेशा सुंदर ही मिलेंगीं क्यूंकि इन नामों का मतलब ही सुंदर होता है. इसलिए नाम ऐसा होना चाहिए जो पूरे व्यक्तित्व को सार्थक बनाए और हमेशा उस नाम से ज़िंदगी में प्रेरणा मिलती रहे. बहुत पहले की बात है... मैं उस वक़्त नाइंथ क्लास में पढता था... मेरे साथ एक लड़का पढता था... उसका नाम छेदी लाल था... अब जैसा उसका नाम, वैसे ही उसका रूप और व्यवहार. उसे कोई भी स्टूडेंट अपने साथ नहीं रखना चाहता था, सिर्फ उसके नाम की वजह से.... वो पढने में भी छेदी टाईप का था... और उसको भी शर्म आती थी....उसे कोई अपने साथ बैठाना भी नहीं चाहता था.... उसे मैं अपने साथ बैठाने लगा... सिर्फ यह दिखाने के लिए... कि ... मेरे जैसे स्मार्ट को यह सब चीज़ें परेशान नहीं करतीं.... अब जब भी कोई नया टीचर आता.. वो खड़ा कर के सबका इंट्रो लेता तो उसके बाद मेरा ही नंबर आता .... अब उसका नाम छेदी लाल... अब इससे पहले कि मैं अपना नाम टीचर को बताता ...सारी क्लास पहले ही बोल देती एक स्वर में..... कि सर...इसका नाम सुराख अली है.... अब छेदी लाल और सुराख अली का कॉम्बिनेशन भी देखिये.... एकदम ट्विन सिटी की तरह.... हैदराबाद और सिकंदराबाद ...की तरह... अब धीरे धीरे मुझे भी वो प्रॉब्लम देने लगा.... तो मैं भी धीरे से अलग हो गया.... तो नाम का बहुत असर होता है. अगर नाम का असर नहीं होता... तो थ्री इडियट्स में करीना कपूर ...बेचारे आमिर खान का दोनों बार नाम सुनकर "यक" नहीं कहती और यह भी नहीं कहती कि मैं शादी के बाद अपना सरनेम नहीं चेंज करुँगी. ....
इंसानों और इश्वर के नामों में बहुत अंतर देखने में आता है. इंसानी नाम सार्थक, यथार्थ और वास्तविक नहीं होते, लेकिन अगर देखें तो ईश्वर (ख़ुदा) के सारे नाम सार्थक हैं. जैसे किसी एक मनुष्य का नाम अमरसिंह है. लेकिन, नाम अमर होने से क्या वह मरेगा नहीं? मरना तो उसे है ही, इसका मतलब है कि उसका नाम सार्थक ना रहा. अगर किसी का नाम अन्नपूर्णा है और वो भीख मांगती है, तब क्या उसका नाम सार्थक हुआ?
इसलिए नाम का बहुत महत्त्व है, नाम हमारे व्यक्तित्व को सार्थक बनाते हैं. अगर हम ग़ुलाब को ग़ुलाब ना कहें तो क्या उसकी ख़ुशबू कम हो जाएगी? नहीं..... लेकिन नाम तो ग़ुलाब ही रहेगा न, जुलाब तो नहीं होगा ना? इसलिए शेक्सपियर ग़लत था. यह कह देने भर से कि नाम में क्या रखा है? काम नहीं चलेगा. नाम में तो बहुत कुछ रखा है. नाम हमें सार्थकता व् सम्पूर्णता प्रदान करते है, नाम तो अव्यय, अविनाशी और ईश्वर जैसा है.
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साहित्य जगत व ब्लॉग जगत के तमाम मित्रों को यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी हिंदी कविता "बचपन" अंतर्राष्ट्रीय त्रैमासिक हिंदी पत्रिका "पुरवाई' जो कि लन्दन से प्रकाशित होती है, में प्रकाशित हुई है. कविता की स्कैन कॉपी अवलोकन के लिए प्रस्तुत है.
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साहित्य जगत व ब्लॉग जगत के तमाम मित्रों को यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी हिंदी कविता "बचपन" अंतर्राष्ट्रीय त्रैमासिक हिंदी पत्रिका "पुरवाई' जो कि लन्दन से प्रकाशित होती है, में प्रकाशित हुई है. कविता की स्कैन कॉपी अवलोकन के लिए प्रस्तुत है.
140 टिप्पणियाँ:
waah janab ...
bahut dinon baad nazar aayein hain aap ..
real comment baad mein ..filhaal aapka swaagat..
बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक पोस्ट!
बड़े मजे की बात कही जी.....
नाम की महिमा का गुणगान....
वाह..सुराखिलाल जी.....ओह सॉरी....पप्पू........मेरा मतबल है महफूज भाई.......
कुंवर जी,
पप्पू पास हो गया!
real comment baad mein .
naam ka hi to kamaal hota hai.........naam mein hi dhamal hota hai.........tabhi to aaj shakespere ko yaad kiya ja raha hai varna kaun yaad rakhta agar wo aisa nahi kahta........naam hi to pahchan hai insan ki........bina naam ke sab shoonya hai........vaise pappu naam jyada badhiya laga.........ab to pappu hi kahungi.........hahahaha
nice
महफूज़ जी ,
ये बात तो सौ प्रतिशत सही है की नाम बहुत कुछ होता है...और नाम से व्यक्तित्व भी झलकता है...आपकी बात से सहमत हूँ...
पर शेक्सपियर भी गलत कहाँ है ? उसका कहना है की यदि गुलाब का नाम कुछ और होता तब भी उसकी खुशबू ऐसी ही रहती जैसी आज है...यानि नाम तो होता ही ना...अब मान लीजिए कि गुलाब का नाम जुलाब ही होता ...हा हा हा तब लोग कहते कि जुलाब का फूल कितना सुन्दर है...वो जुलाब से ही दुनिया में जाना जाता तब शायद आप लिख रहे होते कि जुलाब को गुलाब कहने से महक तो जुलाब की ही रहेगी...
:) :) तो भाई अब जो नाम जिस चीज़ के लिए आरूढ़ हो चुके हैं वो उसी रूप में अपनी अहमियत रखते हैं...और सच है की नाम में बहुत कुछ होता है....
क्या बात कह दी...बहुत ही रोचक पोस्ट...अपने स्कूल के दिनों के संस्मरण के तड़के के साथ...
और अपनी बात भी बहुत ही अच्छी तरह से रखी....आज बहुत दिनों बाद आप नमूदार हुए...इतना लम्बा ब्रेक ना लिया करें...:)
Bahut badhiya bhai jan
Sahi bat hai ki naam main kya rakha hai, aur ye bhi sahi hai ki naam main bahut kuch rakha hai.
काश सभी नामानुसार सार्थक सिद्ध हों ।
लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है ।
दुखीराम जी सुखी हो सकता है । सुखलाल को सैकड़ों कष्ट हो सकते हैं ।
किरोड़ीमल ज़रूरी नहीं कि करोडपति ही हो।
इसलिए शायद यही सही है कि नाम में क्या रखा है ।
वापसी पर स्वागत है महफूज़ मियां ।
अरे कहाँ थे भाई, बहुत दिन बाद दिखे ...
नाम पर आलेख अच्छा है ...
वैसे आपकी बात सही है कि नाम का काफी महत्वा है ... लेकिन ये भी है कि नाम ही सब कुछ नहीं होता ...
सही कहा जी बिन नाम सब सून होता जी सही लिखा आप ने
हास्य कवि काका हाथरसी की एक लम्बी कविता मै नामो की विसन्गति पर खूब धमा चौकडी हुई है.
आपकी इस पोस्ट से बहुत दिन बाद कुछ सार्थक पढने को मिला नही तो ब्लोग वानी खोलने का मन नही करता.
Maan gaye ji! Ab hamare liye bhi koyi doosra naam sujha den! Qismat bikhar rahi hai,sanwar jaye shayad!
बिल्कुल सही बात . नाम लेने से जो ध्वनि तरंगे निकलती है उसका बहुत प्रभाव होता है .
बात में दम है भाई…
दूसरा पहलू भी अब सोचिये, कि यदि बाल ठाकरे का नाम पोपटलाल होता तो क्या उनकी प्रवृत्ति बदल जाती? :) :)
महफूज जी सबसे पहले आपका स्वागत है ,आपकी तरह मैं भी सच्ची टिपण्णी करने में विश्वास रखता हूँ शालीनता के बंधन में रहकर ,इसलिए मैं इतना कहना चाहूँगा की शेक्सपियर का मतलब था नाम के उस नाम से जो किसी सार्थक, सच्चाई व ईमानदारी भरे कर्म बिना गुमनाम (नाम में क्या रखा है ) में तब्दील हो जाता है ,वहीँ दूसरी ओर और तो और आपका नाम भी अमर है ब्लॉग जगत में और उसका कारण है आपकी सच्ची और सार्थक भावना बिना किसी पूर्वाग्रह के |
खुशामदीद महफ़ूज़ मियां,
एन डी ए सरकार के समय का स्टिंग आपरेशन याद करिये, दिलीप सिंह जूदेव का जो फ़ुटेज दिखाया गया था टी वी में, पता नहीं सच्चा था या झूठा था, लेकिन डायलाग बहुत दमदार था, "पैसा खुदा नहीं है, लेकिन खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं है।" ऐसे ही दोस्त नाम का महत्व सबसे ऊंचा न हो, पर कम भी नहीं है। आज भी बहुत से इलाकों में मां बाप अपने बच्चों का नाम सामाजिक मजबूरियों के कारण अपने मन से नहीं रख पाते। बचपन से ही धीमा ब्रेनवाश। मैंने कहीं पढ़ा है कि सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह जी ने जब दबे कुचले लोगों के अन्दर आत्मविश्वास भरना शुरू किया तो सबसे पहले उनके घिसे पिटे नाम बदल कर जोशीले नाम रखे, और इनका असर भी पड़ा। हालांकि यह युनिवर्सल ट्रुथ भी नहीं है, विरोधाभास भी बहुत से देखने को मिल जाते हैं।
और छेदी लाल और सुराख अली का कम्बीनेशन गजब का है, खड्ड़ा सिंह और होल फ़र्नांडीज भी मिल जाते तो चार चांद लग जाते। हा हा हा
बड़ा सुक्ष्मावलोकन किया है, अच्छा लगा, मेहनत दिख रही है और रंग भी लायी है नामों का विश्लेषण
सही है पर वही बात कि सिक्के के दो पहलू होते हैं. कभी नाम, कभी बेनाम, कभी गुमनान, कभी शुभनाम
आभार
हा हा, बहुत अच्छे। वैसे लिखा तो एकदम सही है। प्रभू छेदी लाल और सुराख अली का काम्बीनेशन गजब भिडाया भाई।
नाम में भले ही बहुत कुछ रखा हो पर उसकी सुनता कौन है, जो मां-बाप ने रख दिया तो रख दिया
वाकई नाम प्रभावित करता है व्यक्तित्व को पर व्यक्तित्व नाम पर पूर्णतया आश्रित नहीं है.
सुन्दर पोस्ट
वाह वाह क्या पोस्ट बनाई है ...बेहद रोचक.आखिर आपका ब्लॉग आभार से निकल कर नाम तक आ गया ..तो नाम में तो सचमुच बहुत कुछ रखा है :) ..वैसे सच में नाम का असर व्यक्तित्व पर पड़ता है ये तो हम भी मानते हैं ..पर कई बार एकदम उलटे नाम सुनने में आते हैं ..जैसे - आँख का अँधा और नाम नैनसुख " तो नाम तो सोच समझ कर रखना चाहिए.
प्रिय पप्पू मियां
पप्पू तो हम भी हैं.आपसे इस लिये पट भी गई. जितने दुनिया भर में पप्पू बिखरे पड़े हैं पास वो ही होते हैं. जबकि नज़रिया लोगों का पप्पूओं के लिये बड़ा ही नेगैटिव होता है ज़नाब. सो हे युग के सुपर नामधारियो पप्पूओं की सफ़लता का सिरमौर बन रहा नया पप्पू महफ़ू़ज़ है जिसकी आग ने भारत से अमेरिका तक आग लगा दी ........... जै हो पप्पू नेता की /
जी बिल्कुल सहमत हूं मैं भी आपसे , नामों की ध्वनि और उनका उच्चारण के साथ साथ वो शायद उस व्यक्ति के चारित्रिक हावभाव को भी प्रभावित करती है । इस मुद्दे पर ये देखना और जानना बडा ही दिलचस्प होगा कि शायद इन्हीं वजहों से नकारात्मक नाम जैसे रावण कंस , और भी कई नाम कोई रखना /रखवाना नहीं चाहता होगा ।
दिलचस्प पोस्ट है
बात तो सही ही लग रही है ...विचारणीय पोस्ट
महफूज भाई काफ़ी दिनों के बाद आज आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगा..बिल्कुल सही और सटीक आलेख..नाम बहुत बड़ी चीज़ है..इसमें बहुत कुछ रखा है नाम अक्सर ही मनुष्य का व्यावहारिक रूप रंग निर्धारित कर देता है..बढ़िया आलेख..बधाई
naam ki mahima is kahani me bhi sunai thi maine par.........shirshak tha ---naam me kuchh nahi.....
http://archanachaoji.blogspot.com/2010/05/blog-post_15.html
bahut din baad , aur khoob andaaj
बहुत दिनों बाद आए! स्वागतम।
सार्थक पोस्ट!
बहुत दिनों बाद आए! स्वागतम।
सार्थक पोस्ट!
बहुत हद तक आप सही हैं कि नाम से एक ऊर्जा तो मिलती है तभी कहा भी गया है कि 'राम से बड़ा राम का नाम' लेकिन इस सत्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि जरूरी नहीं कि अमीरचंद अमीर और गरीबदास गरीब ही हों.. हमारे यहाँ एक सेठ का नाम मांगेदास था जबकि उसके पास जितना पैसा था उसका हिसाब ही नहीं लगाया जा सकता..
ऐसे ही एक बहुत ही विनम्र सज्जन थे पर उनका नाम था जिद्दीलाल. हर सिक्के के दो पहलू की तरह यहाँ भी हम निश्चित रूप से तय नहीं कर सकते इ नाम में कुछ रखा है या नहीं. संगीता स्वरुप मैम ने भी बिलकुल सही कहा है.. वैसे ही अगर छछूंदर का नाम मोर होता तो वो क्या खूबसूरत हो जाता??
सुंदर ख़्याल।
" bahut hi gynvardhak aalekh "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
आप भी कमाल करते हैं भैया! सेक्सपियर को गलत ठहरा दिया, वैसे आप भी अपनी जगह ठीक हैं!
बहुत-बहुत अच्छी पोस्ट. अच्छा मुद्दा उठाया है आपने. कई बार जब ऊटपटांग नाम सुनती हूं, तो सोचती हूं कि आखिर क्या सोच के ये नाम रखा गया होगा? मेरी बाई के यहां का हाल सुनिये- चार बेटियों के बाद बेटा पैदा हुआ तो उसका नाम रखा - "घमंडीलाल" और उसके ठीक बाद पांचवी बेटी पैदा हुई तो उसका नाम रखा " राम ढकेली"...
जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है...
वैसे महफूज़ का नाम महफूज़ न होकर कुछ और होता तो क्या अपनी चमक खो देता...
अगर सूरज का नाम सूरज न होता तो क्या वो चमकना बंद कर देता...
जय हिंद...
KAAFI DINON BAAD EK ACCHI POST PADHNE KO MILI, YE ROJMARRA KI BAAT HAI LEKIN HAMLOG DHYAN NAHI DETE HAIN, SACHMUCH NAAM KA ASAR HOTA HI HAI VYAKTI KE VYAKTITV PAR
BAHUT SHUKRIYA AAPKA
Mahfooz bhai, let me 1st welcome u back after a long break.
Not using my pc now so writing in english.
Indeed a gr8 post bro. Congrats.
मैंने कहा था मैं दोबारा आऊँगी...
बहुत अच्छी पोस्ट लिखी आपने...
नाम का प्रभाव अवश्य पड़ता है....
@ खुशदीप जी...सूरज का नाम कुछ और क्यों होता ?
नाम रखने से पहले इसलिए तो इतना सोच विचार किया जाता है....
आपका नाम खुशदीप रखने से पहले मम्मी पापा ने कितनी कवायद की होगी ..पूछियेगा उनसे....
मुझे बताया गया है कि मेरा नाम रखने से पहले मेरे माँ-पिता जी ने बहुत विचार किया था...तब जाकर मेरा नाम स्वप्न मंजूषा रखा....
और इस नाम का पूरा असर है मुझपर ...सपनों का डब्बा हूँ मैं...सपने न देखती तो शायद आज इस मक़ाम पर न होती जहाँ हूँ मैं...
मेरे नाम ने मेरा साथ दिया है, यहाँ तक पहुँचने में...और मुझे कोई शक नहीं है ...
महफूज़ मियाँ....आपका नाम आपके साथ है...आप हर बुरी बात से, हर बुराई से , हर बुरी नज़र से महफूज़ रहेंगे...आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, क्योंकि आपका नाम ही महफूज़ है...देखिये न आपके आते ही रौनक हो गयी है ब्लॉग जगत में... :)
ईश्वर आपके साथ हो....
शेक्सपियर गलत था महफूज़ ठीक है, नाम में वाकई बहुत कुछ रखा है सब बहादुर वाले नाम के इन्सान में बहादुरी न देखें तो समझते हैं नाम में कुछ नहीं रखा जबकि हो सकता है उसमें उलटा असर हो यानी वह डरपोक हो, अर्थात ध्यान दें तो उलटा ही कुछ रखा मिल जाये, दुनिया को छोडें मेरी और आपकी लें आप बहुत कुछ उलट पलट के बाद भी महफूज हैं और दूसरे शायद आपसे गेर महफूज
इसी तरह है हजरत उमर रजि. के नाम से मुझमें कुछ आया है जो हजरत को जाने वह इस उमर में समझ लेगा कि नाम में बहुत कुछ रखा है
औलाद को अच्छा नाम देना बाप का पहला कर्तव्य है, इसमें बहुत कुछ रखा है इस लिये यह जिम्मेदारी कई तरह सोच कर निभाने वाली है
बहुत रोचक पोस्ट है।बधाई।
रोचक ....नाम में वाकई बहुत कुछ है ,,,,शेक्सपियर के इस कथन के नीचे उनका ही नाम आता है ,,,आपकी बात एकदम सही है ,,,अब ये भी बता दो हमारे नाम में आपको क्या दिखता है ? मतलब हम कैसे होंगे ..नाम है 'राजेन्द्र'
श्रीमान पप्पु जी, बहुत ही उम्दा पोस्ट लिखी....वाकई नाम में बहुत कुछ रखा है....
रोचक पोस्ट जो पुरानी यादों मे ले गई..हमारा आज का नाम हमारी टीचर का तोफ़हा है छठी क्लास के रजिस्टर में दर्ज हुआ तो आजतक चल रहा है...जिन्होंने बचपन देखा वो आज भी मधु पुकारते हैं...नाम की महिमा तो है..
पिछले कुछ दिनों से हम नए नामों वाले ब्लॉग़ पढ़ने मे लगे हैं..
रोचक पोस्ट...
काश!! मेरे माँ बाप ने मेरा नाम सुन्दर लाल रखा होता तब तो तुम्हारी जगह तो जीत ही लेता...हा हा!! :)
बहुत दिनों बाद पोस्ट ठेलने के लिए सर्वप्रथम शुक्रिया महफूज जी ! और हाँ , सही कहा आपने जिसका निचोड़ यही है कि नाम हो, बदनाम हो मगर गुमनाम न हो !
नाम का महत्व है महफूज़ भाई...नाम कमाने में भी और बदनाम होने में भी नाम का महत्व है
पर खाए-पीये सोये और मर गए...तो नाम सिर्फ एक सहूलियत है...एक आसानी कि मिलावट न हो जाए....
और इतने दिन हाईबर्नेशन में ???
@ ऐसे ही अगर देखें तो मोनिका, अंजलि, रश्मि, टीना, रीटा, फ़िज़ां, और पारुल नाम की लडकियां हमेशा सुंदर ही मिलेंगीं क्यूंकि इन नामों का मतलब ही सुंदर होता है.
पप्पू! पहले केवल फ़िज़ां और पारुल थे, बाकी नाम बाद में क्यों जोड़े ? :)
वाह महफूज़ भाई ये पोस्ट तो लाजवाब है ही बाकी भी पढ़ीं .. कमाल करते हैं आप .. आपकी हर पोस्ट में प्यार overflow होता है ... हम तो यह देख रहे हैं .. गोमती में भले ही पानी कम हों रहा हों ..प्यार की कोई कमी नहीं अगर आप जैसे लोग हैं तो ......टी शर्ट की दीवानगी वाली पोस्ट भी पढ़ी .सबको वही टी शर्ट चाहिए .. बाप रे .. आप केवल इतना करियेगा की जब मेरे घर आयें तो वही टी शर्ट पहन कर आ जाईयेगा .....आखिर आप किस किसको देंगे ..आप ... हा हा !!!!
सच है. मैंने संतोष नाम वालों को अक्सर चपरासी के पद पर ही देखा है.
सही कहा नाम से इंसान की पहचान होती है , बहुत रोचक आलेख
regards
महफूज भाई
आप तो ये बताओ की यदि आप पप्पू अली या सुराख अली होते तो क्या इतनी अच्छी अच्छी पोस्ट नहीं लिखते ?
यदि इसका जवाब " हाँ " है तो फिर तो निश्चित ही नाम का महत्व है|
SHIV RATAN GUPTA
09414783323
महफूज़ जी ,
ये बात तो सौ प्रतिशत सही है की नाम बहुत कुछ होता है...और नाम से व्यक्तित्व भी झलकता है...आपकी बात से सहमत हूँ...
पोस्ट तो लाजवाब है
..........बात में दम है भाई…
sanjay bhaskar
naam me bahut kuchh rakha hai bhai.........lekin kabhi kabhi aankh ke andhe ka naam Nayansukh bhi rakh diya jata hai.......:)
Mahfooz bhai waise aapke baato me dumm hota hai..........:)
आपकी पोस्ट बहुत अच्छी है। एक विचार का पक्ष है इसमें लेकिन मैं अभी भी शेक्सपीयर के साथ ही खड़ा हूं।
वाकई नाम और थोबड़े में कुछ नहीं रखा है। यह बात मैं अपने निजी अनुभव के आधार पर कह सकता हूं। शायद पिज्जा खाने वाले लोग इसे न समझे।
छेदीलाल के सूराखअली नाम के साथ ही साथ दो और भी नाम हैं - गड्ढासिंह और मिस्टर होल।
बिलकुल सही और सटीक व्यंग :)
आखिर नाम में क्या रखा है
वैसे इसके मज़े का उसे ही पता है,
जिसने इसका मज़ा चखा है।
जिसका नाम ही किसी को ना भाए,
वह तो हमेशा यही कहता है,
आखिर नाम में क्या रखा है।
मैं भी बहुत दिनों बाद सबकी पोस्ट पढ़ने की फुर्सत निकाल पाई ,बहुत रोचक लगा लेख ...हर तस्वीर का दूसरा पहलु होता है ..आपके तर्क सही हैं .
शाहनवाज़ जी को इस लेख में व्यंग्य कहाँ से नज़र आ गया ......?????????!!!!!!!!!!!!!!
नाम में कुछ हो न हो,
बेनामी में बहुत कुछ है।
ब-हर-हाल, अच्छी रचना के साथ आप का दिल से स्वागत है।
वाक़ई!!!! आपके नाम में भी बहोत कुछ महफ़ुज़ रख़ा गया है महफ़ुज़अली। आपकी हर पोस्ट क़ाबिले तारिफ है। भई वाह!!!
सही कहा महफूज़ भाई आपने !
नाम में बहुत कुछ रखा है और इसकी अहमियत आज से चौदह साल पहले हुज़ूरे अक़दस हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) ने बता दिया था. इसलिए चाहिए कि नाम ऐसा हो जो हर ऐतबार से अच्छा हो.
आपका हम-शहरी
सलीम ख़ान
9838659380
lajawaab post... Naam main bahot kuch rakha hain .. naam aur upnaam se kafi fark padta hain...
नाम का ज्ञान बढ़ाती हुई एक सार्थक प्रस्तुति, आभार ।
बहुत बढिया
ये सच है नाम में कुछ नही रखा पर एक बार पैदा होने के बाद ... पहचान ज़रूरी है और वो अगर नाम अनुसार सार्थक हो सोने पर सुहागा ... इसलिए नाम पर्सनॅलिटी के हिसाब से होना अच्छा है ...
welcome back Mahfooz ali ji!
name has got fame!
swasti aur jyoti naam kaisa hai?
नाम से ही पहचान है... नाम न हो ख़ाक पहचान होगी.... अब यह बात अलग है कि नाम कुछ और है दर्शन कुछ और..
रोचक लगी आपकी यह पोस्ट नाम में बहुत कुछ है जी ...
रोचक लिखा है.
मुस्कुराते हुए पढ़ा.
वैसे अँधे का नाम नयासुख हो सकता है :) और कायर का बहादूर.
नाम बड़े काम की चीज है. भारी भरकम नाम प्रभाव पैसा करता है.
एक कहावत याद आ रही है ;
'' नाम गुलाब सिंह , महक नाहीं कुकरौन्धौ की नाईं ! ''
कुकरौन्धा तो समझते हैं न आप !
सही कह रहे हैं आप कि - "नाम में बहुत कुछ रखा है"
जब मैं अपने बेटे लव्य को लंकेश पुकारता हूं तो परिवार वाले और सब एतराज करते हैं।
प्रणाम
अब मै समझा कि खाँ परिवार क्यु गाँधी नाम से चिपका है, प्रियंका वडेरा के बाद भी गाँधी क्यु है :-D
bilkul sahi kaha aapne warna shakespeare ke is vaktavya ke neeche hi unka nam kyun likha hota hai .. "anaam" ya gumnaam ya benaami taur pe us vaktavya ka ullekh kyun nahi hota... bilkul sahi kaha aapne ..naam vyaktitva ka ek avyav hai ..
महफूज़ भाई,
आपने सही कहा नाम में बहुत कुछ रखा है | आप भी जानते है अगर मैं 'शिवम् मिश्रा' ना होता तो शायद अभी हाल में हुए बेकार के विवाद में मुझे निशाना नहीं बनाया जाता !
खैर, यह सब तो चलता ही रहता है.............
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और अब बिना application के छुट्टी नहीं मिला करेगी !! ऊपर से आर्डर आ गए है !
pappu ji sarthak baat kahi hai..iss liye log ab chintu,mintu,kitty...n so on ke baad sarthak naamon ke peeche hai..aur vakai naam vayktitva par gehri chhap chhodta hai..100% agree with you :)
रोचक
शेक्सपियर नाम और किसी ने रखा क्या ?
शायद नहीं क्योंकि एक ही काफी था
chalo Mr. gayab aap apne naam ki pahchaan aur uski mahima to lekar aaye.
waise kaha jata hai ki naam samaaj me apni ek pahchaan dene k liye rakha jata hai...shakl-surat se to nahi ek dusre ko sambodhit nahi kar sakte na.
acchhi post.
एक फिल्म आयी थी - जवाब, उसमें नाम के महत्व पर बहुत ही सटीक बात कही थी। खैर तुमने जो मुझे अमेरिका का नम्बर दिया था वो कहीं गलत है तो तुम पहले मुझे अपना फोन नम्बर दो जिससे मैं तुमसे बात कर सकूं। बाकि सब ठीक है।
@ अजित ममा,
जी.... ममा.... एक डिजिट छूट गया है..... आपको सही और अपना नंबर मेल कर दिया है.....
नाम में बहुत कुछ रखा है ....कभी हाँ लगता है कभी ना ...
क्योंकि नाम के विपरीत आचरण करते हुए भी बहुत लोग है तो नाम को सार्थक करने वाले भी ...
मगर ये बात सही है कि नाम अच्छा हो तो एक विश्वास आ जाता है खुद पर ...
और नाम तो अच्छा होना ही चाहिए जब हम खुद रखते हों ....:):)
मैं नाराज नहीं हूँ ...बस एक जैसी दो पोस्ट पर तेरे दो अलग तरह के कमेंट्स ने मुझे परेशान किया ...
चलिए हुज़ूर ने देर से ही सही आमद तो की....कहाँ गुम थे दोस्त इतने दिनों..... ? पूरा ब्लॉग जगत हैरान था की महफूज नामक लाडला कहाँ चला गया....? धमाकेदार पोस्ट के साथ वापसी की बधाई....!
गुड पोस्ट !
शेक्सपिअर का कथन भी अपने जगह सही है.
@ Anonymous and Ajay....
bhaiya.... tum jo koi bhi apne naam se aao..... main tumhe pahchaan gaya hoon ....tumhara naam inder/guddu hai.... aur wahi team hai.... tum logon ki problem yahi hai ki doosron kii tarakki bardasht nahi hoti.... hai.... dam hai to khud baat karo naa.... kya naam badal ke aur anonymous dete ho.... ab wo purana time chala gaya.... zindagi mein aage badho.... jalan mat paalo.... bahut aage tak jaoge.... meri liye address pata karna koi badi baat nahi hai.... jo ki maine IP se pata laga liya hai....
नाम में बहुत कुछ रखा है और कुछ भी नही रख्खा । अगर नाम आपका शेरसिंह है और कारनामें गीदडों वाले तो ऐसे नाम का क्या फायदा मतलब ये कि आपके गुण बढिया होना चाहिये । तब तो आपका जो भी नाम हो वह भी लोग जान जाते हैं ।
आपकी कविता छपी आपको बहुत बधाई । पढी नही गई प्रिंट बहुत ही खराब था ।
आईये जानें ..... मन ही मंदिर है !
आचार्य जी
बचपन में हम लोग एक खेल खेलते थे ...मेरा नाम "मैं " तेरा नाम " तू " तो बता गधा कौन ?????
नाम का महत्व इसलिये है कि यह एक पहचान देता है .. समझे पप्पू.. ।
देर से आये....
आप भी और हम भी
आप महफूज हैं और मैं बेचैन आत्मा..
महफूज़ पढ़कर अच्छा लगता है और..बेचैन आत्मा से डर लगता है..क्यों..?
..बचपन की यादों में ले जाती कविता के लिए बधाई.
@ बेचैन आत्मा ......
अरे नहीं ....देवेन्द्र जी.... बेचैन आत्मा से डर नहीं लगता है.... मैं ख़ुद आपसे माफ़ी चाहता हूँ.... एक तो आ नहीं पाता.... मसरूफ़ियत की वजह से....और कमेन्ट मौड़रेशन .... लगाना पडा.... क्यूंकि कुछ जलनखोर हैं.... पुराने .... उनसे बर्दाश्त नहीं होता है.... कई चीज़ें...... तो छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.... उन लोगों को यही नहीं पता कि साहित्य क्या है...? कैसे लिखा जाता है.... ? तो जलन में बेनामी उलटे सीधे कमेन्ट दे रहे हैं.... इसलिए आपका कमेन्ट मौड़रेशन की वजह से.... देरी से छापा.... मैं ख़ुद बनारस आ रहा हूँ.... जल्दी ही.... तो आपसे ज़रूर मिलूंगा.....
hmmm... Sir, jab log aapkey against bolne lage to aap yeh samjhen ki aap tarrakee pr haen. kaee aapkey success ko pee nahi paayenge to ganda hi bolenge. aap sirf apna kaam kariye. and congrats for yor success. You are right jealousy is to earn and sycophancy is to buy.
बहुत अच्छी पोस्ट है...
हमारा मानना है की इंसान का किरदार ही उसके नाम को 'सार्थक' या 'निरर्थक' करता है... वरना नाम में क्या रखा है...
ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जिनके नाम तो 'इंसानों' वाले ही होते हैं, लेकिन काम ऐसे कि हैवानों को भी शर्म आ जाए...
आनन्द आ गया पढकर ।
प्रशंसनीय ।
Naam katha nirali hai bhai....wah..
नामो के बारे में एक बात और ध्यान में आई . इस देश में भाषायें भले ही बहुत सारी हैं लेकिन नाम एक जैसे हैं जैसे गीता, राधा सब जगह मिलेंगे . उत्तर से दक्षिण
है बातों में दम.
Mehfooz, bhai behad rochak rachna...haalanki main itefaaq nahin rakhtaa...mere ek jaanne wale Fakirchand hain multi millionere...aur bhee kafee udhaaran hain...par padhne mein maza aayaa
बहुत दिनों के बाद आपका शानदार पोस्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा! बहुत ही बढ़िया, जानकारीपूर्ण और ज्ञानवर्धक पोस्ट रहा! बधाई!
आपकी बात से सहमत हूँ, बिना नाम के आप कैसे जानेंगे कि ये प्रतिक्रिया किसके द्वारा की गयी है......हा हा हा .
लेखन के लिए शुभकामनाएं..
बहुत दिनों से कम्पूटर खराब पड़ा था ....तो बस हाजिरी भर लगाने आई हूँ .....पोस्ट पर तो इतने लोग कह चुके .....!!
u have some point but it is not true 100%. there r many other factors
पप्पू जी बहुत ही बढ़िया लेख के लिए बहुत बहुत बधाई,,,,,पप्पू जी मेरे घरवालो ने मेरा नाम राम कुमार रखा शायद ये सोच कर की मैं ताउम्र भगवान् श्री राम जी की तरह मर्यादा पुशोतम बनू लेकिन हुआ इसका उल्टा मुझमे सारे गुण श्री कृष्ण जी के आगये,और मैं बन गया ६०-६५ प्रेमिकाओं का अकेला प्रेमी..आज सोचता हूँ की मेरा नाम कृष होता तो ज्यादा अच्छा होता राम तो बदनाम होता,फिर याद आता है की चलो छोडो नाम में क्या रखा है,किसी भी गुस्ताखी के लिए माफ़ी चाहता हूँ ...वेसे मैंने अपना नाम बदल कर lovely kankarwal कर लिया है,
राम और क़ृष्ण एक ही के अवतार माने गए हैं
जी हाँ , नाम में बहुत कुछ रक्खा है, खो गए तो गुमनाम हैं, कुछ अच्छा कर गए तो सुनाम हैं, बुरा करते रहे तो बदनाम हैं,
अति सुन्दर प्रस्तुति,
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....
नाम बहुत कुछ होता है....
नामों का विश्लेषण अच्छा लगा.....
दिलचस्प पोस्ट......
नाम ऐसा होना चाहिए जो पूरे व्यक्तित्व को सार्थक बनाए और हमेशा उस नाम से ज़िंदगी में प्रेरणा मिलती रहे.
Aapki baat se sahmat hoon.
जबसे ब्लॉग दुनिया देखी है उसके बाद आपकी पहली पोस्ट आई, तब मेरा इस दुनिया में आना नहीं हो पाया, खाई कोई बात नहीं जी यह तो अभी तक ताज़ा है .बहुत बढ़िया और मजेदार लगा आपका लिखा .
Nam ko lekar bahut shandar post likhee hai apane --hardik shubhkamnayen.
र पप्पू मेरा नाम तो लिखा ही नही?? बहुत दिनों बाद आयी हूँ ना शायद इस लिये कविता छपने के लिये बधाई। आशीर्वाद्
JEEWANT LEKH
"JO HILMIL JEEVAN JEETA HAI
USAKA JEEVAN HI GEETA HAI .
JISKO SHAANTI SANTOSH NAHI
USKA TO JEEVAN REETA HAI"
SUNDAR POST
hi ! smart boy, बड़े दिनों से ये पोस्ट बुकमार्क करके रखी थी, आज पढ़ पायी... आपकी तो बात ही निराली है... वैसे सुराख अली नाम अच्छा है... ही ही ही ही ! अच्छा मेरी फोटो देखने से पहले कैसा सोचते थे मेरे बारे में ... खूसट न?
wah wah! kya baat hai!
log on http://doctornaresh.blogspot.com/
i just hope u will like it!
नाम परिणाम !!! बहुत सही !! उनका नाम मुलायम है पर वो कितने KATHOR है !! UNKAA नाम SINH है पर BAKRI की TARAH MIMIYATE RAHTE है !!! UNKAA नाम AMRCHAND THAA पर CHAL BASE
aapki post achchhi lagi Badhai!!
aapki post achchhi lagi Badhai!!
महफूज जी मैं लेट हो गया। सौ से अधिक टिप्पणियां आ चुकी हैं अब मैं क्या कहूं। कुछ भी कहूंगा रिपीट ही होगा। बस इतना ही कि बहुत शानदार पोस्ट लिखी है। एक प्रतियोगिता करवा लीजिए कि बच्चों के कॉमन नाम क्या होते हैं। बहुत मजा आएगा।
http://udbhavna.blogspot.com
:)
naam mein kaafi kuchh rakhaa bhi hai..
aur kuchh bhi nahin rakhaa....
depend kartaa hai naam par...
aur naam dhaari chehre par...
रोचक पोस्ट ..आपकी बात से सहमत हूँ...
yatha naam,tatha gun !
baat to bilkul satya hai naam me bahut kuchh rakkha hai ,baigar iske pahchan hi muskil hai ,naam ka asar bhi kafi hoto hai ,sundar bahut sundar post lagi ,vishya bahut kuchh kahne ko uksata hai apne upar .
mahfuz bhai,
aapsach kahte hai naam me bahut kuch rakhha hai.yetologo ke manane aur na manane par nirbhar karta hai.vaise jo naam pkar ke liye rakkha jaata hai vahi sabse pyara lagta hai .bhale hi bade hone par thoda at-pta sa lagta haipar isme sneh ki jo mithas hoti hai vah aur kisi naam me nahi.
poonam
Agli post ka intzaar hai.
nice post
तलाश जारी है ......इनाम तैयार रखियेगा ......अगले महीने पंजाब जा रही हूँ इसी भने खर्च निकाल जायेगा ........!!
कविता कविता जैसी लगी .......!!
बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक पोस्ट!
बहुत धन्यवाद महेश सिन्हा जी ये बताने के लिए की राम और कृषण एक ही के अवतार थे.... लेकिन एक ने सारी उम्र एक ही स्त्री के लिए वचनवध रहे , और दुसरे सारी उम्र लड़ाइयाँ और प्यार में मस्त रहे. दो रानिया पटरानियाँ १६००१ से एक टाइम शादी और गोपियाँ का तो अंत ही नही , कारण चाहे कोई भी रहा हो, श्री राम जी मर्यादा पसंद पुरुष थे, और श्री कृष्ण जी ,,,,the lord of love,,,,,,,
bahut khubsurat likha hai....
meri aawaz hi meri pehchaan hai......lekin ye kathan shayad purna nahi prateet hota....
gumnaam hai koi...badnaam hai koi....sirf usi ka wajood hai jiska koi naam hai...naam me hi sab kuchh rakha hai...
bahut achha lekh
स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मुझे अपने भाव को व्यक्त करें के लिए प्रोत्साहित किया इसके लिए धन्यवाद !
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा !
!
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!
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'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...
well written innovative post!
nice blog....
regards,
mai abhi koi tippani nahi kar sakta, par ye jarur hai ki ye website bahot rochak or gyaanvardhak hai.........avdhesh
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