गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है, कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..


सपनों कि मंज़िल  तक पहुँचने कि
ख़्वाहिश है,
पर रास्तों में कांटो की बारिश है,
किस कदर अपने क़दमों को रोकूँ मैं?
इधर कुआँ, तो उधर खाई नज़र  आई है.


ख़्वाहिश तक पहुँचने की ख़्वाहिश,
दिल में दब गयी  ऐसा लगा,
सपनों को हकीकत में बदलने की कोशिश
नाकाम रही,
लगा, मानों मंज़िल मेरे सामने खडी
हंस कर कह रही है,
"सपनों को सपना ही रहना दो,
पलकों की मीठी छाँव में सोने दो"


हकीकत से लड़ो, हकीकत का सफ़र तय करो,

ख़्वाहिश नहीं रह जायेगी,
फिर यह ख्वाहिश तुम्हारी .....


मैंने उस हंसी का परिहास किया 
और कहा
"सपनों के रास्ते में हकीकत कि मंज़िल है,
मेरा विश्वास है, सपनों कि मंज़िल अब मेरे पास ही है."
अब
मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..


धन्यवाद! किसको दूं मैं ?
उस मंज़िल के हास्य को या अपने उस परिहास को?
या उस पहचान को?
जो मेरी मंज़िल बन चुकी है..........
  

38 टिप्पणियाँ:

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है....kya baat hai..ye to ek naya andaz hai...kabhi aap mom ban jate hai...kabhi talwaar.....akhir ye majra kya hai?

shikha varshney ने कहा…

hmm ye shakti sabke ander hhoti hai bas pehchanne bhar ki baat hai....jisne pechan lia use koi nahi rok sakta...keep it up.

अर्कजेश ने कहा…

बहुत खूब बिल्कुल बेबाक

"हजारों ख्वाहिशें ऐसीं कि हर ख्वाहिश पे दम निकले"

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उन्नति के शिखर पर बढ़ते रहो।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Alpana Verma ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

sakaratmak soch!
bahut khubsurat baat kahi hai..

sapno ki manzil tak pahunchNe mein ab der nahin hogi!

bahut achchhee kavita.

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Mahfooz ji,
मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है
Jeetne ki aadat to aapko hai hi aur ab baki quality bhi aa gayi to lagta hai aapke sapno ki manzil aapke saamne hai...
sundar kavita....

Raj said :
kya baat hai..ye to ek naya andaz hai...kabhi aap mom ban jate hai...kabhi talwaar.....akhir ye majra kya hai?

to ham bhi soch rahe hain ki aakhir majra kya hai ?

सदा ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है, बहुत ही अच्‍छे शब्‍दों से संजोयी यह प्रस्‍तुति एक नई ऊर्जा से ओतप्रोत रचना, ।। शुभकामनायें ।।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

ये शक्ति है हौसले की, आत्मविश्वास की...बहुत ही सुन्दर.

Ambarish ने कहा…

ख़्वाहिश तक पहुँचने की ख़्वाहिश,
दिल में दब गयी
aur iske baad ye yakeen
"सपनों के रास्ते में हकीकत कि मंज़िल है,
मेरा विश्वास है, सपनों कि मंज़िल अब मेरे पास ही है ."
bahut khoob.. kamaal hai...
aaj aapka ek naya hi roop dekhne ko mil gaya..

रंजू भाटिया ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

यही वास बना रहे हमेशा यही दुआ है अच्छी लगी आपकी यह रचना शुक्रिया

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

bahut badhiya bhai aapki is rachana ko padh kar ek aatmvishwas milata hai..bahut badhiya likha hai aapne...badhayi..

Randhir Singh Suman ने कहा…

जो मेरी मंज़िल बन चुकी है..........nice

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

पिछली जबरदस्त सफलता और जीतते रहने के उन्माद की पोस्ट का राज़ मुझे थोडा बहुत अब खुलता सा समझ आ रहा है आपकी यह पोस्ट और पेपर की कटिंग को देख कर..............

करीब साढे छ साल पूर्व की पोस्ट में ऐसी ही कोई अभिलाषा थी अन्दर की शक्ति का आभास सा था, विश्वास पल्लवित हो रहा था और शायद वही शनैः - शनैः जुनून में तब्दील हो गया और आज स्वयं को अपराजित समझाने का गर्व.............

लगे रहो...... बस यही दुआ है.........ख्वाहिशें रूप लेती रहे और खुदा न खास्ता कुछ अनहोनी न हो ऐसी ही अभिलाषा है.....

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

ओम आर्य ने कहा…

अरे महफूज भाई
यह उर्जा लाते कहाँ से हो ??????.....नित नई उर्जा और आत्मविश्वास कुछ तो बताओ आखिर राज क्या है?????

वैसे रचना से उर्जा भी मिल रही है !!!!!!!!!!

निर्मला कपिला ने कहा…

ba हुत बधाई ये ऊर्जा ऐसे हे बनी रहे आशीर्वाद्

डा० अमर कुमार ने कहा…



ये पढ़के अपुन को बी लग रैली,
अपुन के भीतर में पॉवर ने खोली डाला,क्या ।
वाँदा नेंई, अपुन को अक्खा काम का सुपारी दो, भाई ।
बोले तो, अब तुमारा काम बरोबर राबचिक होयेंगा ।

kishore ghildiyal ने कहा…

bahut badiya kuchh bhi kar sakna ab mere bas ki baat hain...... waah ati sundar .....

M VERMA ने कहा…

मेरा विश्वास है, सपनों कि मंज़िल अब मेरे पास ही है."
शुभकामनाएँ

बेनामी ने कहा…

Dhanyawad aap khud ko de kyunki khud "HUM" hi vo hai jo mushkil ko bhi aasaan karne ki kabiliyat rakhte hai.....really a nice poem....

Mithilesh dubey ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

बहुत खुब महफूज भाई क्या लिखते हैं आप लाजवाब। आपकी रचना पढ़ने के बाद एक नयी उर्जा और नयी संचार दौड़ने लगती है। न पता आप इतनी उर्जा कहाँ से लाते है अपनी रचनाओँ मे। इस खूबसूरत और बेहतरिन रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!
बहुत बढिया भाव हैं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

jab koi naya prapya milne ko hota hai to ek taraf tufaan aur ek taraf aatmshakti hoti hai,aur ek nanha diya bhi aatmshakti liye jeet jata hai........bahut hi achhi rachna

Dipak 'Mashal' ने कहा…

महफूज भाई, ये दुनिया एक रंगमंच, और हम सब कलाकार हैं, आपको कहने की जरूरत नहीं ये किसने कहा था. यूं तो हर इंसान एक अभिनेता है लेकिन आपकी पोस्ट को देख के यकीन आता है की आप वास्तव में हैं तो एक अच्छे इंसान लेकिन साथ ही सिर्फ और सिर्फ हर तरह का अभिनय करना चाहते हैं, वो भी पोस्ट पे. जब जो मन में आता है, जो सकूं देता है वो लिख देते हैं. आज जो कविता आपने लिखी है वो एक उदाहरण है इस बात का कि आप 'कलम के अभिनेता' हैं. बहुत सुन्दर रचना के लिए एक बार फिर से बधाई. हो सके तो अपना मोबा. न. दें कभी बात करता हूँ. आज मैं भी अपनी जिंदगी की एक बहुत बड़ी सच्चाई और त्याग की एक मूर्ति पे कुछ लिखने जा रहा होऊँ, इसे आप एक श्रद्धांजलि भी कह सकते हैं और एक महान आत्मा, जिनका मैं आजीवन कर्ज़दार रहूँगा को उद्घाटित करना भी.

Chandan Kumar Jha ने कहा…

सार्थक संदेश देती रचना । लगता है यह रचना समाचार पत्र मे छपी थी ।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है।

वाह्! महफूज जी....आपकी पोस्ट पढकर तो खुद हमारे अन्दर भी शक्ति का संचार होने लगता है :)
बहुत बढिया!!

अपूर्व ने कहा…

यह पंक्तियाँ विशेष लगीं
या उस पहचान को?
जो मेरी मंज़िल बन चुकी है..........
कविता मे मधुर अनुप्रास का यथायोग्य प्रयोग काव्यसौन्दर्य को बढ़ाता है..वैसे कुछ वर्तनियों मे कुछ शुद्धि अपेक्षित है.

Asha Joglekar ने कहा…

Aapka aatmwishwas aisa hee bana rahe.aur aap nayee nayee manjilen pate rahen.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

महफूज़ भाई, आपके अंदर के शक्तिमान को मेरी जय हिंद...

वाणी गीत ने कहा…

मैंने उस हंसी का परिहास किया
और कहा
"सपनों के रास्ते में हकीकत कि मंज़िल है,
मेरा विश्वास है, सपनों कि मंज़िल अब मेरे पास ही है."
अब
मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

तो यह है आपकी सफलता का राज ...!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

अली साहब, अच्छा लगता है जब अपनी कोई पुरानी रचना कई साल पहले कहीं छपी हो अथवा कहीं संजो कर रखी हो और कई सालो बाद अचानक वह याद आ जाए ! आपके अन्दर अपनी इस २००३ में अखवार में छपी रचना से भी वही अनुभूति महसूस हो रही होगी, मै समझ सकता हूँ ! बधाई !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

"सपनों को सपना ही रहना दो,
पलकों की मीठी छाँव में सोने दो".....

बहुत लाजवाब है महफूज़ भाई .......... कमाल की शक्ति है आपके अन्दर ......... हकीकत में रहना बहुत ही काबिले तारीफ है .... आपकी रचना कमाल की है ......

Unknown ने कहा…

lajabab...ak nai shakti ke sath ..bahut achhi rachna....

Mishra Pankaj ने कहा…

मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

यही वास बना रहे हमेशा यही दुआ है अच्छी लगी आपकी यह रचना

Udan Tashtari ने कहा…

अब
मेरे अन्दर एक नयी शक्ति का वास है,
कुछ भी कर सकना अब मेरे बस कि बात है..

-आत्म विश्वास से भरपूर रचना. बहुत सकारात्मक सोच. ऐसे ही बढ़े चलो, शुभकामनाएँ.

vikram7 ने कहा…

धन्यवाद! किसको दूं मैं ?
उस मंज़िल के हास्य को या अपने उस परिहास को?
या उस पहचान को?
जो मेरी मंज़िल बन चुकी है..........
बहुत खूब आत्मविश्वास से भरपूर

दर्पण साह ने कहा…

Mehfooz bahi thodi official work main busy tha to aapke blog tak nahi aa paaiya....
aaj aaiya hoon aur aapki ye kavta padhkar sukhad ehsaas hua.

"हकीकत से लड़ो, हकीकत का सफ़र तय करो"
Nice quote...
...infact entire poem is awesome !!

Urmi ने कहा…

वाह वाह क्या बात है! नए अंदाज़ में एक अद्भुत रचना! शानदार प्रस्तुती!

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut hi sunder

sanjay bhaskar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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