पूरे छह महीने के बाद आज ब्लॉग्गिंग करने का मन किया है.... कुछ हालात ऐसे नहीं थे... और कुछ विरक्ति सी थी... तो कुछ जो बिगड़ गया था उसे ही ठीक करने में टाइम लग गया... तो कुछ दिमाग़ में यह भी विउ था... कि यहाँ हिंदी ब्लॉग्गिंग में ... कुछ ख़राब लोग आ गए हैं... फ़िर यही सोचा कि अगर हम अच्छे तो सब अच्छे ....हम ख़राब तो सब ख़राब... अब अच्छे-बुरे तो सब जगह होते हैं... हम भी कई लोगों के लिए ख़राब हैं... तो फ़िर यह क्यूँ सोचना... ? मतलब यह कि बहुत सारे निगेटिव वीउज़ आ गए थे दिमाग़ में ब्लॉग्गिंग को लेकर... अब वही वीउज़ मिक्स्ड हैं... वैसे भी पौज़ीटिव्ज़ की ओर ही देखना चाहिए..... आज रिप्लेसमेंट थेओरी (Replacement Theory) पढ़ रहा था दोपहर में खाना खाते वक़्त... पढ़ते वक़्त यही सोचा ...कि इस दुनिया में हर चीज़ रिप्लेस हो जानी है... हर चीज़ की एक्सपायरी डेट है... ... यह जानकर बड़ी हैरानी हुई कि ... रिश्ते भी तुरंत ही रिप्लेस हो जाते हैं या फ़िर रिप्लेस हो जाने की सिचुएशन में आ जाते हैं.... ख़ैर फिलहाल ... आज यह कविता देखिये.... इन छः महीनों में बहुत कुछ लिखा है... वक़्त मिलता जायेगा तो पोस्ट भी करता जाऊंगा.... और अब यह वक़्त ही तो है... जो एक्सटिंक्ट है... एफेमेरल है... और यह बात समझ में आ गई है.
(फोटो कोई मिली नहीं तो अपनी ही डाल दी)
शब्दों ने रास्ते बदल दिए हैं...
मैंने कई बार तुम्हे
नोट किया है
फ़िर भी
तुम मुझे कभी याद
नहीं रह सकीं....
तुम उभर आई हो
उन ठन्डे शब्दों के भीतर भी
शब्दों के अर्थ ने भीतर के उदास कोने से उठकर
फ़िर तुम्हारा स्वागत किया है,
उदासी हमारे भीतर की
आधी रह गई है,
दोनों के बीच रिप्लेसमेंट आ गया है.....
अब
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
118 टिप्पणियाँ:
वापसी पर स्वागत है ।
जिंदगी में बहुत से उतार चढाव आते हैं ।
हर लम्हा कुछ सिखा कर जाता है ।
अपने उदगार प्रकट किये , अच्छा लगा ।
शुभकामनायें ।
पोस्ट और रचना दोनों ही बहुत बढ़िया है!
खुशामदीद
very nice poem.....thanks
सुस्वागतम..
जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो खैर चलते ही रहते हैं...
आप वापस आ गये, एक और अच्छा ब्लॉग पढ़ने को मिल गया। अच्छाई में भी गति बनी रहे नहीं तो बुराई पनपने लगती है।
वेलकम बैक!
स्वागत हे जी आप का, लेख ओर कविता दोनो ही बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद, मैने कई बार फ़ोन मिलाया लेकिन कोई रिंग विंग्म नही बजी? इस वीक एंड पर फ़िर कोशिश करूंगा, अगर ना० बदल गया हो तो नया ना० मेल कर दे
अच्छी वापसी...
शब्द वैसे ही थे
हंसी और ज़वान
हमने ही अपने मूड के हिसाब से
लगाये थे अर्थ
वरना यूँ नहीं खिल उठता उसका चेहरा
हाथ आते ही
तुम्हारी किताब।
.....आभार एक नई अनुभूति देने के लिए।
भाई आपका स्वागत है....ये जीवन है...सुख है एक छांव ढलती दुःख तो अपना साथी है इसलिए दुःख से घबराना क्या.....यही दुःख तो जीवन के असल संवेदना से परिचय कराती है ......
waaah !!! kyaa baat hai..vaapsi dhunaadhaar hai !!
अब
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
जीवन में ऐसे कई मौके आते हैं जब ऐसे शब्द प्रासंगिक लगते है..... सुंदर भाव हैं...... स्वागत ... शुभकामनायें
aap aaye bhi toh itane sunder aur aashwaadii soch ke saath .. jiine ka naya dhab lekar . swaagat hai aapka ..
ज़िंदगी में हर चीज़ रिप्लेस होती है ...उनमें रिश्ते भी हैं ...लेकिन कुछ रिश्ते हैं जो रिप्लेस नहीं होते बस दम तोड़ देते हैं ...
कविता में गहन भाव हैं ...
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
बहुत सुन्दर
जी हाँ महेफ़ुज़अली बहोत.....देर से आये!!! पर चलो आये तो सही।
आप कहते हैं कि इस दुनिया में हर चीज़ रिप्लेस हो जानी है.
नहि ये तो नज़रीये पर है। जो बडे भावुक होते हैं आप-हमारी तरहाँ वही ये सब सोचते हैं ।और जीन्हें सिर्फ़ अपने मतलब से ही मतलब है उन्हें समज़ाना बेमतलब हो जाता है। वो रिप्लेस हो जाये उसी में हमारी भलाई है।
वाह मजा आ गया.. क्या बात है
सुन्दर कविता. लम्बे विराम के बाद स्वागत है.
shabd ne raaste badle yaa humne ... kaun jane!
shabd ne raaste badle yaa humne ... kaun jane!
mahfooz bhai,aap ka aana bahut achcha laga...maine bhi blog par niymit nahi rah pa raha hoon..aaj aapne ek badhiya chhandmukt kavita likhi hai sundar bhav ka samawesh hai ..
sundar rachana ke liye hardik badhai...namskaar
सबसे पहले तो स्वागत है इतने लंबे अंतराल के बाद दुबारा ब्लॉग जगत में अपनी रचनाएँ देने का ...
आपकी रचनाओंका इंतेज़ार लम्बे समय से था और आशा भी थी की आप ज़रूर आएँगे ... आपकी जुझारू प्रकृति का मुझे शुरू से एहसास था और आपने सभी विपत्तियों को आसानी से झेला ये बहुत बड़ी बात है ...
आपकी रचना का वही पुराना अंदाज़ बहुत लाजवाब लगा ... भावनाओं को सहज ही कह देते हैईयाँ आप .. ये आपकी खूबी है जो हमेशा याद रखती है आपको ...
.......... ननु सोच्यन्ति पंडितः ! जारी रहें , शुभकामनाएं !
जब हमारी पोस्ट पर आपकी टिप्पणि आई तो लगा वापसी की किरन फूटी है.. आज तो पूरा दिन चढ़ आया.. खुलकर कहे गए विचार और एक बेहतरीन नज़्म...
रुक जाना नहीं कहीं तू हार के........।
हम 7-7 हैं। लाठी बल्लम तेल लगाओ, धूप देखाओ और काम पे लग जाओ। हा हा हा हा
स्वागत है।
उम्मीद है अब नियमित रहोगे शुभकामनायें !
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
क्या बात है....बहुत खूब लिखा है...
अच्छा लगा तुम्हे वापस यहाँ देखकर...लिखते रहो...शुभकामनाएं
अच्छा लगा वापस यहाँ देखकर. स्वागत है ....!!!
वाह ज़नाब ! स्वागत है आपका...
फोटो बहुत अच्छी है...'रिटर्न ऑफ़ महफूज़ अली' :)
आपके कवि हृदय से कविता निकली है तो अच्छी होनी ही है..हमेशा की तरह..
धन्यवाद..
रिश्ते जो मतलब के बनते हैं , वही रिप्लेस होते हैं...
निःस्वार्थ सच्चे रिश्ते और उनके शब्द कभी अपना रास्ता नहीं बदलते ..लोग ही बदल जाए , ये और बात है ...
नकारात्मक बातों में से भी कुछ सकारात्मक ढूंढ लेना , अच्छी बात है !
लम्बे समय बाद तुझे यहाँ देखना अच्छा लगा ..!
Welcome
आईये महफ़ूज़ भाई , स्वागत है आपका ।
हां सच कहा आपने तभी तो कहते हैं किन के बाद रात , रात के बाद दिन , खुशी के बाद गम , और गम के बाद खुशी का आना तय है
ज़िंदगी में हर चीज़ रिप्लेस होती और ये प्रक्रति का नियम है, निराशा कैसी , सकारत्मक सोच लिए फिर से आपका स्वागत है, सुन्दर रचना के लिए बधाई..
regards
अरे लोगों की क्या चिन्ता करना। कुछ तो लोग कहेंगे। लिखते चलिये। लोगों की चिन्ता छोड़िये।
रिश्ते तो वहीं खड़े रहते हैं लेकिन व्यक्ति समय की ऑंधी के साथ निज नए मुकाम ढूंढता है। लेखन ही वो कला है जिससे मन के घाव भी शीघ्र ही भरते हैं।
स्वागत है, यह तो लिखा ही नहीं था।
स्वागत है मियां,बहुत खूब लिखा है आपने हमेशा कि तरह और फ़िर समय होत बलवान है सब बदल देता है।
महफूज़ भाई आज अरसे बाद आप को ब्लॉग जगत में वापस पा कर जो ख़ुशी हुई है उसे लफ़्ज़ों में बयां नहीं किया जा सकता...जो हुआ सो हुआ...उसे सोच सोच कर ज़िन्दगी नहीं गुज़री जा सकती...हादसे हमें लड़ने की ताकत देते हैं...आप की रचना आपके दिल की तरह लगी...निहायत खूबसूरत...लिखते रहें और खुश रहें...
नीरज
खेतों में खरपतवार भी उगती ही है. धान बोना बन्द थोड़े ही किया जाता है?
्सबसे पहले वापसी का तहेदिल से स्वागत है अच्छा लगा देखकर और खुशी हुयी………चीजो को पाज़िटिव देखने से ही दृश्य बदलते हैं………और कविता मे तो कमाल कर दिया…………वापसी पर इतनी संजीदा कविता ………बता रही है पुनर्जन्म हुआ है और अब सभी पाठको को एक नये महफ़ूज़ से मिलने का मौका मिलेगा……………मुझे तुम्हारी ये कविता बहुत पसन्द आई………………"शब्दों के अर्थ ने भीतर के उदास कोने से उठकर फ़िर तुम्हारा स्वागत किया है,"……इन पंक्तियों मे गज़ब का जादूभरा है बेहद गहनता का समावेश है…………
welcome back!!
replacement agar behtaree ke liye ho to kya kahne..
aap ab jaldi se apne udasi ko khushiyon aur masti se replace kariye..mahfooz bhai:)
देर आए दुरुस्त आए
सुन्दर कविता. लम्बे विराम के बाद स्वागत है.
आपकी वापसी का बहुत- बहुत स्वागत है ..
और यह पंक्तियां
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
सुन्दर भाव मय करती हुई ...आपके स्वास्थ्य के लिये शुभकामनाएं ।।
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं.
bahut dinon par sahin lekin sundar kavita lekar aaye.
aate hi sundar rachnaa se aagaaz bahut khub !!
दो दिन बाद टेलीविज़न पर रजनीकांत की रोबोट आने वाली है...
उससे पहले तुम्हारी ब्लॉगिंग में वापसी सुखद है...
जहां तक रिश्तों की बात है तो पेज थ्री में गाया लता जी का ये गाना सुनो...
कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पे,
दो पल मिलते हैं, साथ-साथ चलते हैं,
जब मोड़ आए तो बच के निकलते हैं,
कितने अजीब रिश्ते हैं...
जय हिंद...
वापसी पर बहुत खुशी हुयी सच है जीवन मे जब कठिनाईयाँ आती हैं तभी आदमी कुछ सीखता है। कविता बहुत अच्छी लगी। आशीर्वाद।
बात तो होती ही रहती है, लेकिन काफी दिनों बाद आपको पढ़ा... बहुत ख़ुशी हुई... पोजिटिव होने पर होंटों पर ख़ुशी का इज़हार होना स्वाभाविक है.... बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी... पढ़कर लग रहा है कि पुरे दिल से लिखी है....
क़िताबों में से नये शब्द की तरह
मैंने कई बार तुम्हे
नोट किया है
फ़िर भी
तुम मुझे कभी याद
नहीं रह सकीं....
बहुत खूब , और इस जगत में पुन : तहेदिले से आपका स्वागत महफूज साहब ! " कोई फोटो नहीं मिली इसलिए अपनी ही डाल दी" :):)
आप छह महीने के बाद लिखें, या छह बरस के बाद.. आपके अल्फाज़ में जो ताजगी है, जो रवानी है वो कभी नहीं बदलती.. खास तौर पर ये चार लाइनें लाजवाब हैं..
शब्द वैसे ही थे
हंसी और ज़वान
हमने ही अपने मूड के हिसाब से
लगाये थे अर्थ
Janab aap der se aate hai aur sabko hilakar rakh dete .
bahut badhiya.
महफूज़ भाई!
यहाँ हर चीज़ बदल जाती है,ये दुनिया है...जब हर चीज़ बदल जाती है तो शब्दों को भी रास्ता बदलना ही पडता है ...अच्छी कविता.
आप आये अच्छा लगा, सकारात्मक सोच के साथ आये...ये और भी अच्छा लगा.
शुभकामनाएँ......
ये कौन सी रिप्लेसमेंट थिरैपी है महफूज भाई -सब कुछ बदल गया है ...गेट अप मेक अप ..चलिए नयी ऊर्जा और रिश्तों की गर्माहट के साथ फिर संभालिये अपना कुनबा !:)
आदाब भाईजान!
खुशामदीद!
कुछ गहरी बीती है किसी पर....
यूँही पूरब से सीली हवा नहीं आती!
ज़िंदगी को सीरियसली नहीं सिंसियरली लीजिये, खुश रहिये!
आशीष
उदासी हमारे भीतर की
आधी रह गई है,
दोनों के बीच रिप्लेसमेंट आ गया है.....
अब
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं. ......
कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर मर्मस्पर्शी भाव हैं....
बहुत-बहुत बधाई !
स्वागत है.....
बहुत गहरी रचना लेकर आये हो. बधाई.
bahut khoob....
जीवन में कभी ऐसा मोड आता है कि विरक्तता आ जाती है। जो इससे उबर जाता है, पोसिटिव थिंकिंग से, वह संभल जाता है और वापिस अपनी बिरादरी में लौट आता है :) आप स्वस्थ व सानंद होगे॥
badhiya
मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं मिला और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
बहुत सुन्दर और लाजवाब पोस्ट! बेहतरीन प्रस्तुती!
आपका स्वागत है...काफी दिनों से यह ब्लॉग सूना पड़ा था...एक बार आपके ब्लॉग ने कहा कि देखो हमारा ब्लॉगर कैसा है सबके ब्लॉग पर नई-नई पोस्ट आती रहती हैं और एक हमारा ब्लॉगर है कोई सुध ही नहीं लेता....तब मैने कहा भाई सब्र से काम लो सब्र का फल मीठा होता है...और देखिए...खैर देर आयद दुरुस्त आयद...
पोस्ट और रचना दोनो बहुत अच्छी हैं....
उदासी हमारे भीतर की
आधी रह गई है,
दोनों के बीच रिप्लेसमेंट आ गया है.....
अब
शब्दों ने अपने पड़ाव
और
रास्ते
बदल दिए हैं. ......
पोस्ट और रचना दोनों ही बहुत बढ़िया है!
लम्बे विराम के बाद स्वागत है.
वापसी पर आपका स्वागत है, लेकिन इस कविता से तो आप बैंड बजा बजा कर आये हैं. आगे का इन्तजार है.
Achhee lagee wapasi! U were being missed!
welcome back dear ! and its a beautiful poem. missed you SURAKH ALI.
Welcome back ! कविता सुंदर है कहीं इसी वजह से तो यह छै माही छुट्टी नही थी .
शायद आपने जब ब्लॉग मे लिखना छोड़ा ..हमने उसके बाद पदार्पण किया .. आपके ब्लॉग मे पुरानी पोस्ट देखी.. टिपण्णी भी की ...किन्तु उसके बाद कभी नयी पोस्ट नहीं देखी... आज देखी तो मैं आपको स्वागत कह दूँ.. सुन्दर रचना के साथ आपका यह पुनरागमन .. बधाई..
bahut dino baad aapko padha.....achha laga.
sahi kaha aapne...lekin kuchh rishte badal liye jaate hain !!
sundar rachna !!
jo socha achchha socha ,ek geet yaad aa raha hai aapki post ko padhkar ,ye jindagi dard hai aur ye zindagi hai dawa bhi ,dil todna hi na jaane ,jaane ye dil jodna bhi .....rachna bahut badhiya hai .
बहुत सुन्दर और गहन भाव वाली कविता.....!!
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क्या नाम दें?
bahut sunder ---
kuch na likhane se kuch sarthak likhana aaccha hai----
jai baba banaras....
वापसी पर स्वागत है ।
लेख ओर कविता दोनो ही बहुत अच्छी लगी,
स्वागत स्वागत स्वागत स्वागत स्वागत स्वागत स्वागत स्वागत
कविता की प्रत्येक पंक्ति में अत्यंत सुंदर हैं....
बहुत-बहुत बधाई !
mahfooz bhai.. swagat hai aapka , aapke apno ki duniya me .. itni acchi rachna ke liye kya kaha jaaye ....badhayi ..
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
तो बच्चू को टाइम की इम्पोतैंस पता चल गयी. तुम्हे सही सलामत देख कर ख़ुशी हुई.
you know. 'Twas very difficult to write in Hindi. But I did it in very splendid manner... isn't it...? ur poem is very nice.
TC.
आपके ऊपर पोस्ट लिखकर गाली खाने का जो सिलसिला चला है तो अब तक बंद नहीं हुआ। चलो अब मुझ पर एक पोस्ट तो लिखो पहलवान।
स्वागत है ...जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है..
कविता भी अच्छी है.
हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
शब्दों का खेल बहुत ही निराला है |..
आपके पुरे परिवार को होली मुबारक हो
दूसरों को देख के तो हमसे ना होगी ब्लोगिंग.. आप भी ना करें.. :)
वैसे कविता अच्छी थी..
शब्द तो आँख मिचौली करते ही है
शब्दों के अर्थ हम बदलते हैं न कि शब्द स्वयं ही अपने अर्थ और पड़ाव को बदल लें
सुन्दर और अर्थपरक रचना के साथ वापसी का हार्दिक स्वागत
रफ़्ता रफ़्ता मिटती जा रही है
हर बात
जो ज़ायद है
मेरे वुजूद से
लेकिन
आज भी
महक तेरी ही आती है
मेरे वुजूद से
By : Anwer Jamal
Bilkul Sahi kaha hai sir aapne......
Bahut Sateek aur damdaar prastuti
Nice to know that you are related to Gorakhpur. I am from the same place...and i am very glad to know that you have won an International Award for your poem. Congrats!
स्वागत हे जी आप का, लेख ओर कविता दोनो ही बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद**************
सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार, चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार..... हुकम रजाई चलणा नानक लिखिया नालि.......
यह कहा है गुरु नानक देव जी ने। इसका मतलब आप समझ ही गए होंगे। फिर भी बता रहा हूं।
आप चाहे लाख सोच लें, लेकिन वैसा होगा, यह जरूरी नहीं। आपके चुप रहने भर से आपको आंतरिक शांति मिलेगी, ऐसा मानना गलत है।.... गुरु नानक खुद को एड्रेस करते हुए कहते हैं कि वही होगा जो अकाल पुरख चाहेगा। अकाल पुरख से मतलब है जिसने दुनिया को बनाया और उसे अपनी मर्जी से चला रहा है। आपकी या मेरी मर्जी का कोई मतलब नहीं है।
खैर, आपने अपनी भावनाओं को शानदार उकेरा है। कई बार रिश्ते भी रिप्लेस हो जाते हैं या होने की सिचुएशन में आ जाते हैं। जिसे किसी रिश्ते से गहरा दर्द हुआ हो, वही ऐसा कह सकता है। हम भी चाहते हैं कि आप पॉजिटिव सोचें और लिखें।
अंत में कहूंगा
जीना है तो जीओ ना
मर-मर के जीना क्या जीना है!
bahut sundar...
gahan arth se bhari sakaratmak rachna .
बहुत सुंदर कविता भाई महफूज अली जी बहुत बहुत बधाई |
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
का बडे भईया...आप को भी निगेटिव फीलिग्स होते हे :) आप तो स्टाग मॆन हो डोले शोले तो मस्त बना लिये हो :)
..पर हमसे मत लडियो..नही तो हरा देगे हम ई सबके सामने..
हम तो एक ऊगली चलाईब..फिर हसत हसत लोट पोट हो जाईवो :) (प्यार ऒर जंग मे सब जायज हॆ)
ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
.
जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
वापसी पर स्वागत है ।
http;//shayaridays.blogspot.com
nice post..
http://shayaridays.blogspot.com
उदासी हमारे भीतर की
आधी रह गई है,
दोनों के बीच रिप्लेसमेंट आ गया है.....
sunder abhivyakti
rachana
स्वागत है । वही तो मै सोच रही थी की महफूज है कहाँ आजकल । शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं रिश्तों के माने बदल जाते हैं । पर जिंदगी तो जिंदादिली का नाम है । आपकी सकारात्मक सोच बनी रहे और आप का लिखा हम पढते रहें ।
bahut achhi rachna..
kripya mere bhi blog me aaye..
www.pradip13m.blogspot.com
mahfuz bhai ji
bahut dino baad main bhi aapke blog par wapas aai hin fir aapko apne blog par der se aane ke liye puchhne ka haq nahi banta hai .
lekin aapke blog par aakar aapke der se aane ka karan pata chal gaya hai .
vapsi aapki bahut achhi lagi.
aapki rachna bahut hi gahare arth liye hue hai.rishto ki gahan abhivykti ----bahut hi sarthak v sarahniy prastutike liye hardik badhai
dhanyvaad sahit
poonam
bahut khoob ....blog par yadgar lamhon me lagi pictures bahut achchhi lagi khackar jo aapke pet ke sath hain .
khubsurat aur sarthak post...
क़िताबों में से नये शब्द की तरह
मैंने कई बार तुम्हे
नोट किया है
फ़िर भी
तुम मुझे कभी याद
नहीं रह सकीं....
bemisaal hain ye pangtiyan......
महफूज़ अली जी ,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
भैय्या , आपकी कमी खलती है .. वापस आये तो कुछ मिलकर बाते करे .. शारी कि जिंदगी कि , दोस्ती कि ... एक बार कॉल करे.
आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
शब्दों ने रास्ते बदल दिए हैं...
बहोत दिनों बाद आपको पढा। खुशआमदिद महफ़ूज़अली।
सुंदर कविता!
आपकी पोस्ट की हलचल आज (30/10/2011को) यहाँ भी है
सुंदर रचना...
सादर...
अच्छा लगा तुम्हे यहाँ देखकर .. बाकी सब भी अब ऐसे ही ब्लॉगिंग कर रहे हैं .. गोया कि और भी गम हैं ज़माने में ब्लॉगिंग के सिवा । कविता लिख रहे हो अच्छी बात है .. और कोई ढंग का काम भी करो .. ( मज़ाक है )
आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
इस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥
सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका
आज का आगरा
यूँ तो कट रहे दिन किस्तों में ,गुजर जायेंगे.
...बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी .बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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