पिछले चार पांच दिनों से मन बहुत अजीब हो रहा था. सब कुछ अच्छा होते हुए भी अच्छा नहीं लग रहा था. एक तो आजकल ज़्यादातर वक़्त गोरखपुर में बीतता है दूसरा गोरखपुर में इन्टरनेट कनेक्शन नहीं रहता है. और फिर बिज़ी इतना कि मोबाइल फोन तक का ध्यान नहीं रहता है (बीते हुए वक़्त को दोबारा पाना बहुत मुश्किल होता है). पिछले दो तीन दिन से मन यूँ ही बहुत खराब हो रहा था.
मैं बिला वजह परेशान था और उन परेशानियों का कारण भी खोज रहा था. लेकिन उन कारणों का पता नहीं चल पा रहा था. लखनऊ लौटा तो थोडा फ्री हुआ तो अपने चंद मित्रों को कॉल किया और पाबला जी से हमेशा की तरह गुफ्तगू हुई. उसके बाद भी अजीब सा खालीपन लग रहा था. तभी ध्यान आया कि खुशदीप भैया से बात नहीं हुई काफी दिनों से. उन्हें कॉल लगाया तो काफी देर तक घंटी गयी लेकिन फोन नहीं उठा. इससे पहले कभी ऐसा हुआ ही नहीं कि मेरा फोन नहीं उठा हो चाहे वो रात के तीन बजे ही क्यूँ न हो?
मैंने फिर कॉल मिलाया तो काफी देर घंटी जाने के बाद फोन उठा तो पता चला कि खुशदीप भैया की भतीजी ने फोन उठाया है और मुझे बताया गया कि भैया हॉस्पिटल में एडमिट हैं और अभी अभी उन्हें नींद का इंजेक्शन दिया गया है. और चाची जी (भाभी जी) दवा लेने ज़रा बाहर की ओर गयीं हैं. मुझे पता चल गया कि मेरा मन इतने दिनों से अशांत क्यूँ था? यह मेरी भैया से बोन्डिंग ही थी जो मुझे बता रही थी.
इसके बाद मुझे भैया से बात करने की बेचैनी होने लगी. लेकिन मैं उनके जागने का इंतज़ार ही कर सकता था. फिर एक इंटयुशन यह भी देखिये कि जैसे ही भैया तीन घन्टे बाद जगे तो मुझे अपने आप पता चल गया और मेरी बात भैया से हो गयी. हालचाल लेने के बाद अब जाकर चैन मिला है. ऐसा लग रहा है कि जैसे खोई हुई चाभी मिल गयी हो. भैया मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. आप ही तो हो जो मेरे साथ हर तरह से होते हो. अच्छे में भी और बुरे में भी. आप मेरे लिए भाई से बढ़ कर हो. एक आप ही तो हो जिसके दम पर मैं थोडा यहाँ उछल भी लेता हूँ. आप जल्दी से ठीक हों यही मेरी ईश्वर से कामना है और फिर से पहले की तरह सबको हंसाएं. खुशदीप भैया आई लव यू...