कहा जाता है कि घर में हमेशा कोई जानवर पालना चाहिए... इससे घर की सारी बलाएँ दूर रहतीं हैं... हमारे बड़े बुजुर्गों ने कुछ चीज़ें तो अनुभव कर के ही कही होंगी..
यह हमारे सबसे प्यारे कुत्ते स्व. श्री जैंगो जी की हैं. आपकी यह तस्वीर तबकी है (ड्रिप चढ़ते हुए) जब आप बीमार हो कर हॉस्पिटल में एडमिट थे. आज आपकी तीसरी डेथ ऐनीवर्सरी है.. ईश्वर आपकी आत्मा को स्वर्ग प्रदान करे.
यह बहुत बड़े साहित्यकार और ब्लॉगर भी थे.. यह हिंदी ब्लॉग्गिंग भी करते थे.. और हिंदी ब्लौगरों की तरह ऐसे ऐसे अखबारों और मैगजीन्स (अजीब अजीब नामों वाले..जनसंदेश टाइम्स टाइप) में छपते थे.. जिन्हें कोई जानता भी नहीं था.. और जिन्हें कोई कुत्ता भी नहीं पूछता था.. उन्हें जैंगो जी पूछते थे और फ़िर छप कर बहुत खुश भी होते थे. उन्हें बहुत जल्दी ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "डौगी स्टायल" ऑफ़ हिंदी ब्लॉग्गिंग का अवार्ड दिया जाने वाला है. आपने हिंदी के लिए भी बहुत काम किया लेकिन कोई भी काम इसीलिए काम नहीं नहीं आया क्यूंकि आज भी लोग इतने वाहियात हैं कि अपने बच्चों को इंग्लिश ही बुलवाना और पढवाना चाहते हैं. श्री. जैंगो जी हिंदी दिवस मनाने के बहुत खिलाफ थे क्यूंकि आपका मानना था कि इतनी रिच भाषा का दिवस मानना अपमान है. आपने भी बहुत सारे स्ट्रग्लर्स की तरह हिंदी के लिए बहुत काम किया लेकिन हिंदी का विकास पिछले सत्तर सालों की तरह आज भी नहीं हो पाया. इससे आप बहुत आहत थे. स्व.श्री जैंगो जी कहते थे कि लोग हिंदी के लिए अपने हाथों में कंडोम पहन कर काम करते थे जिस वजह से कोई रिज़ल्ट नहीं निकलता था. आपका यही मानना था कि लोग फैमिली प्लैनिंग ख़ुद के लिए ना कर के हिंदी के लिए ज़्यादा करते हैं. फ़िर भी हम और हमारा एन.जी.ओ. श्री. जैंगो जी के बताये हुए निशान पर चल रहा है. उम्मीद है कि आगे चल कर कोई ना कोई रिज़ल्ट निकलेगा. इसी आशा के साथ आईये ज़रा अब मेरी कविता देखी जाए..
जानवरों से गया बीता कोई ना रहा
ज़हरीले जानवरों की
सभा हो रही थी.
आदमी को नष्ट करने का
बीज बो रही थी....
कि हमारा ज़हर
आदमी में फ़ैल रहा है.
आदमी आदमी के जीवन से खेल रहा है.
इतने में
सभा में एक आदमी आया
तो ज़हरीले जानवरों का हुज़ूम
चिल्लाया....
जानवरों के सभापति ने
उन्हें चुप करते हुए कहा
कि अब
तुमसे गया बीता इस
धरती पर
कोई नहीं रहा.
(c) महफूज़ अली